राजा की रानी

305 Part

39 times read

0 Liked

रात को अखाड़े में शायद थे?” “हाँ, था।” “ओ:!” नीरवता में ही कुछ क्षण कटे। पैर बढ़ाने की कोशिश करते ही उस आदमी ने कहा, “आप तो वैष्णव नहीं हैं, भले ...

Chapter

×