1 Part
222 times read
18 Liked
कविता का शीर्षक:- दहेज बहुत सी कुरीतियां समाप्त हो चुकी हैं पर इसे क्यों समाज ढ़ोता आ रहा हैं स्वार्थ में कितना अंधा होता जा रहा हैं इसके दुष्परिणामों को ...