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गीतिका छंद पर रचित एक गीत सूरज कहे रोशनी दूँ, चांद बोले चाँदनी फूल बोले महक दूँ मैं, फैल जाये रागिनी रूप सब ही हैं अनोखे, मैं निहारूँ हर घड़ी छा ...