उषाकाल

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पहली किरण (उषाकाल)  उषाकाल से आज प्रकृति का श्रृंगार करती हूँ,  भोर की पहली किरण को प्रणाम करती हूंँ,  मुर्गे की बांग जब कानों में पड़ती,  अलसाई सी सुबह में  मैं ...

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