मदिरा सवैया छंद में रचित कविता

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भूल  गया  वह मीत  मुझे  जब, सूख  गया  सब  नीर  तभी पीर  बड़ी  दिल में  उठती  तब, भूल  गया  मन  मीत  कभी सोच  सकूं  मन में  कुछ  ये  सब, याद  रहे  ...

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