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चुप थे वो हम समझ नहीं पाए... मुस्कुरा रहे थे वो हम हंस नहीं पाए.... रखा तो उन्होंने हमें बहुत.. आँखों में सजा क़र.... मगर मज़बूरी ऐसी थीं... हम सज नहीं ...