लेखनी -16-Dec-2021लोग रोते है..

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लोग रोते है क़िस्मत पे अपनी... हमको मेहबूब ऐ बाहर ना मिली.. हम ख़ुश है नसीब पे अपने. हमें मेहबूब की बेरुखी... और ज़िन्दगी बियाँबान ना मिली. मेरी कलम से ..... ...

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