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सोचता हूँ मैं भी अक्सर तन्हा क्यों दिल मेरा बैचैन अब रहता कैसे लड़ जाता सारा जमाने से कैसे वो हर जुल्मो सितम सहता पहले रहता था हर समय हँसमुख अब ...