पहचान

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आबाद नहीं है जिंदगी, है अब मेरी वीरान खुशी नहीं बची अब कोई, सोच हूँ परेशान कौन है अपना कौन पराया, सोचता हूँ अब पहचानने में उसको, आज भी हूँ अनजान ...

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