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नाकाम सी मोहब्बत जो तुझसे कर बैठें, ख्वाबों की दुनिया को हकीकत समझ बैठे; क्या नासमझ थे हम भी पत्थर को खुदा और बेवफा को सनम समझ बैठे, अंजाम था तय ...