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साँसे मेरी # प्रकृति से ही ➖🌸➖🌸➖🌸➖ अबूझ हो तुम प्रकृति अबूझ सी हैं साँसे भी मेरी सहती ही रहती सब मौन हो चाहे पीड़ हो घनेरी वर्षा ग्रीष्म शरद वसन्त ...