चरित्र

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चरित्र और आत्मसम्मान के बीच होती है रेखा बहुत महीन वो नासमझ क्या समझे जो समझता है नारी को चरित्रहीन नारी गुणों का सागर है उसकी थाह कभी ना पा सके ...

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