1 Part
281 times read
16 Liked
चरित्र और आत्मसम्मान के बीच होती है रेखा बहुत महीन वो नासमझ क्या समझे जो समझता है नारी को चरित्रहीन नारी गुणों का सागर है उसकी थाह कभी ना पा सके ...