लेखनी प्रतियोगिता -12-May-2022 सोच भी चकरा गई

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सोच सोच कर सोच भी चकरा गई, ना जाने ज़िन्दगी क्यों उनसे टकरा गई हम तो दबे हुए थे अपनी ज़िम्मेदारियों तले, ना जाने इतनी बेफ़िक्री कहां से आ गई।। कुछ ...

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