लेखनी प्रतियोगिता wo

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मेरे गुनाह को उभरता हे वो खुद को बहुत पाक मानता हे वो  उस के साथ ज़िंदगी गुज़ारने को भेजा था बाबा ने मेरे साथ वक़्त गुज़रता हे वो  नही रोज़ ...

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