ऑंगन

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आज भी  मिट्टी   की  सोंधी-सोंधी खुशबू की महक खुद  में  पाती   हूॅं खिल   उठता   है   तन   और   मन यादों   के  सहारे   ऑंखों    में   भी आ   जाता   है    वह   सारा  मंजर जब ...

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