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ख्वाहिशों के अंबार पर बैठी मैं रोज ही एक नई उम्मीद पालती हूॅं एक दिन होंगे वों सभी पूरे कहकर दिल को बहलाती हूॅं। ख्वाहिशें - ए - जिंदगी कभी कम ...