हे मानव----●🍁

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हे मानव !   -------------●◆● जब प्रकृति ने ही  तेरा है निर्माण किया फिर किस छुद्र स्वारथ के हो वश तूने  इसे प्रदूषण का अपमान दिया धरा जो माँ के जैसी है ...

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