आतंक

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हर जगह आतंक फैलाने को, रहते हैं तैयार निर्दोषों   पर  भी  दया  नहीं, देते   हैं  मार। मानवता के‌ लिए, खतरा बनते बंदूक उठाकर, शान से  चलते। मजहब के नाम पर लोगों ...

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