महक

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गुज़रे   दिनों   के  पन्ने   पलटती   ही सांसों में एक  महक सी आ जाती है काॅपी  में   दबा   वह   सूखा   गुलाब आज  भी  एहसास  जगा  जाती    है ।       लबों  पर   मुस्कान  ...

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