काली घटाएं

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चाँद की चांदनी में छनकर जब काली घटाएं छाती है शबनम की कोई बूंद जब पपीहे की प्यास बुझाती है टिमटिमाता तारा देख जब अपनों की याद सताती है तुम मेरी ...

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