गुरु-महिमा
गीत16/16)
गुरु-महिमा.....
अति विनीत हो नमन करें हम,
गुरु की महिमा के गुण गाएँ।
गुरु-पग-धूलि ज्ञान-चंदन सम,
उसे लगा तन-मन महकाएँ।।
गुरु से शिक्षा पाकर मानव,
जग में सभ्य-चतुर कहलाता।
प्रेम-एकता के परचम को,
हो प्रसन्न चहुँ-दिश फहराता।
पाठ सीख कर मानवता का,
भ्रमित पथिक को पथ दिखलाएँ।।
गुरु की महिमा के गुण गाएँ।।
शिक्षित होगा जब समाज तो,
निश्चित विकसित राष्ट्र बनेगा।
विकसित राष्ट्र सदा सुखदाई,
जिससे गौरव सतत बढ़ेगा।
गुरु ही ऐसा संभव करता,
यह रहस्य सबको बतलाएँ।।
गुरु की महिमा के गुण गाएँ।।
माता-पिता जन्म हैं देते,
गुरु दे शिक्षा उसे सवाँरें।
जन्म सार्थक गुरु ही करते,
पोंछ दोष-रज हमें सुधारें।
गुरु से मिले ज्ञान-कोष को,
आओ मिलकर सदा बढ़ाएँ।।
गुरु की महिमा के गुण गाएँ।।
गुरु की महिमा अकथनीय है,
लिख न सके मसि सागर बन कर।
गुरु की गरिमा अतुलनीय है,
गुरु ही ब्रह्मा-विष्णु-नागधर।
गुरु की सेवा सदा करें हम,
गुरु-चरणों में शीश नवाएँ।।
गुरु की महिमा के गुण गाएँ।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
Pranali shrivastava
31-Jan-2023 02:57 PM
Nice 👍🏼
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Punam verma
30-Jan-2023 09:17 AM
Very nice
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Abhinav ji
30-Jan-2023 08:47 AM
Very nice 👌
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