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लेखनी कहानी -30-Jan-2023 आपकी अमानत की हिफाजत

                 अमानत की हिफाजत


         " मैने आज भी तुम्हारी अमानत को सम्भालकर रखा हुआ है। मैने कितने भी दुःख सहन किये हैं लेकिन तुम्हारी अमानत को कोई कष्ट व परेशानी नही होने दी । मैने उसकी हिफाजत अपनी जान से ज्यादा की है। आज वह बहुत बडा़ अफसर बन गया है। अब तो तुम्हें मुझसे कोई शिकायत नही होंनी चाहिए। " इतना कहकर अर्पिता की आँखौं से गंगा यमुना की धारा बहने लगी।

       "मम्मी आपने अपना फर्ज तो पूरा कर दिया है अब मेरी बारी है तुमने पापा को दिया हुआ बचन पूरा कर दिया। अब आपकी आँखौ में आँसूँ अच्छे नही लगते है।" अमन अपनी मम्मी से बोला।

         अर्पिता को   वह दिन भी आज भी याद है जिसदिन  अमर अस्पताल में जिन्दगी व मौत के बीच संघर्ष कर रहा था। वह जान गया था कि अब उसका बचना मुश्किल ही नही अपितु असम्भव है।

    यही समझकर उसने अर्पिता का हाथ अपने हाथ में लेकर उससे बोला," अर्पी अब हमारा तुम्हारा इतना ही साथ था। अब मेरा बचना असम्भव है। तुम अपने होने वाले बच्चे को मेरी अमानत समझकर पालना और उसे बहुत बडा़ अफसर बनाना। मम्मी पापा का भी ध्यान रखना अब इस घर की सारी जिम्मेदारी तुम्हारे कन्धौ पर है। शायद तुम्हे यह भी नही मालूम है कि मै उनका असली बेटा नही हूँ मुझ अनाथ को उन्होने इस तरह पाला कि मुझे इसका अहसास तक नही होने दिया कि वह मुझे अनाथालय से गोद लेकर आये थे। इसलिए तुम उनकी सेवा में कोई कमी मत आने देना।" इतना कहकर  उसकी आँखौ से अश्रुधारा बहने लगी।

       ' नहीं ऐसी बात नही करते आप बिल्कुल ठीक हो जाओगे। आपको मै कुछ नहीं होने दूँगी। और रही मम्मी पापा कीसेवा की उसमें मै कभी भी  शिकायत का मौका नहीं दूँगी।" अर्पिता ने अमर को समझाया।

            अमर को हरिप्रसाद व शान्ति एक अनाथालय से गोद लेकर आये थे परन्तु उन्होंने अमर को कभी भी  इस बात का आभास नहीं होने दिया था कि वह उनकी सन्तान नही है।  अमर सेना में कर्नल के पद पर तैनात था।  जब वह सीमा पर  ड्यूटी पर तैनात था तब दुश्मन के साथ लडा़ई मे उसके सीने में गोली लगी थी ।उसको गम्भीर हालत में अस्पताल में भर्ती किया गया था । वही पर उसकी पत्नी अर्पिता भी पहुँच गयी थी।

           अमर उस समय जिन्दगी व मौत से दो तीन दिन तक  लड़ता रहा था और अन्त में वह हार गया और उसकी मौत होगयी थी। उसके बाद घर की जिम्मेदारी अर्पिता के कन्धौ पर आगयी।

      अर्पिता ने अमर को दिये गये बचन का बखूबी पालन करते हुए  अमन को पढा़ लिखाकर एक बडा़ अफसर बनाया।एवं अपने सास ससुर को कभी भी अमर के न होने का अहसास नहीं होने दिया था।

      आज अमन एक मल्टीनेशनल कम्पनी में मैनेजर लग गया था। यह  अर्पिता की महनत का ही फल था। उसने अमर के स्वर्ग सिधारने के बाद प्राईबेट स्कूल में जाब की उसके बाद उसने कोचिंग सैन्टर खोलकर  महनत की थी।

       आज वह अमर की फोटो के सामने खडे़ होकर यह सब बता रही थी कि मैने आपकी अमानत की हिफाजत करके अपने कर्तब्य व आपको दिये गये बचन को पूरी तरह से निर्वाह किया है यदि मुझसे इस दरिम्यान कोई भूल हुई हो माँफ करना।


आज की दैनिक प्रतियोगिता के लिए रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "


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9 Comments

बहुत खूब

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Varsha_Upadhyay

01-Feb-2023 06:49 PM

Nice 👍🏼

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Vedshree

01-Feb-2023 02:36 PM

Behtarin rachana 👌

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