लेखनी प्रतियोगिता -30-Jan-2023 छोटी सी मजाक
सिकंदर दिल्ली में सरकारी नौकरी करता था। सिकंदर जब अपने गांव में किसी शादी ब्याह में जाता था, तो अपने बचपन के दोस्त बलजीत और उसके परिवार के लिए खाने पीने की चीज और जरूरत सामान लेकर जाता था। सिकंदर का दोस्त बलजीत बहुत गरीब था। वह मेहनत मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से दो टाइम का खाना बीबी बच्चों को खिला पता था। अच्छी नौकरी ना होने की वजह से बलजीत हमेशा दुखी रहता था।
सिकंदर बलजीत की गरीबी दूर करने के लिए अपने साथ उसे शहर में नौकरी लगवाने के लिए ले आता है। सिकंदर बलजीत के लिए नौकरी ढूंढने में अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ता है। अनपढ़ होने की वजह से बलजीत को अच्छी नौकरी नहीं मिलती है। नौकरी ना मिलने की वजह से बलजीत अपने दोस्त सिकंदर से गांव वापस जाने की कहता है।
बलजीत के गांव जाने से पहले सिकंदर बलजीत को दिल्ली की कुतुब मीनार घुमाने अपने साथ लेकर जाता है।
बलजीत और सिकंदर जब साथ कुतुब मीनार घूमने जाते हैं तो वहां सिकंदर बलजीत से एक छोटी सी मजाक करता है। की "इस कुतुबमीनार का मालिक में हूं।" सिकंदर को किसी जरूरी काम से दिल्ली से दूसरे शहर दो महीने के लिए जाना था। सिकंदर हंसी मजाक में बलजीत से कहता है कि "कुतुबमीनार मेरी अमानत है और मेरी इस अमानत की दो महीने तुम्हें हिफाजत करनी है।"
और दूसरे दिन सुबह सिकंदर किसी जरूरी काम से दिल्ली से दूसरे शहर चला जाता है। बलजीत अनपढ़ और सीधा-साधा मनुष्य था, उसे अपने गांव के अलावा दुनिया की कोई समझ नहीं थी। इसलिए बलजीत को अपने दोस्त की क़ुतुब मीनार का मालिक होने की मजाक भी सच लगती है। लेकिन सिकंदर यह छोटी सी मजाक करके उसी समय भूल चुका था।
और बलजीत दूसरे दिन सुबह से ही क़ुतुब मीनार की हिफाजत में लग जाता था। वह सुबह से शाम तक कुतुबमीनार घूमने आने वाले पर्यटकों का ध्यान रखता था, कि कोई गंदगी कूड़ा करकट तो नहीं फेंक रहा और सुबह शाम कुतुब मीनार के आस पास झाड़ू लगाकर कुतुबमीनार को साफ सुथरा रखता था।
अगर कोई पर्यटक गलती से भी कुतुबमीनार के आसपास गंदगी फैलाता था तो बलजीत उससे कहता था "यह मेरे दोस्त की कुतुब मीनार है। और वह दो महीने के लिए इसे मेरी जिम्मेदारी पर छोड़ कर गया है। इसलिए कुतुबमीनार के आसपास गंदगी मत फैलाओ।" उसकी यह बात सुनकर सारे पर्यटक बहुत हंसते थे।
दो महीने बाद सिकंदर अपना काम खत्म करके दिल्ली आता है। दिल्ली में एक अखबार में बलजीत की फोटो देख कर सीधा कुतुब मीनार उससे मिलने जाता है। बलजीत कुतुब मीनार के आस पास झाड़ू लगा रहा था।
वह बलजीत को कुतुब मीनार के पास झाड़ू लगाता देख सीधा बलजीत के पास जाता है। और उस अखबार में बलजीत को उसका फोटो दिखाता है। और कहता है की "तुम्हारी ईमानदारी लगन और कुतुब मीनार की इतनी अच्छी देखभाल की वजह से पर्यटक विभाग ने तुम्हें कुतुब मीनार की देखभाल की ही नौकरी दे दी।"सिकंदर ने बलजीत से छोटी सी मजाक की थी कि मेरी अमानत की हिफाजत करनी है। बलजीत ने सच्चे मन से यह सोचा और किया की तुम्हारी अमानत की हिफाजत में ईमानदारी से करूंगा। बलजीत की ईमानदारी और सच्चाई की वजह से बलजीत की गरीबी हमेशा के लिए दूर हो गई।
प्रत्यंगा माहेश्वरी
03-Feb-2023 04:37 AM
Nice post
Reply
Vedshree
01-Feb-2023 02:37 PM
Bahut achhi rachana 👌
Reply
डॉ. रामबली मिश्र
31-Jan-2023 07:59 PM
बेहतरीन
Reply