लम्हा.....
अपने रिश्ते की जड़ को मजबूत बनाना पड़ता है....मुझको.
हर पल हर लम्हा खुशी हो या गम मुस्कुराना पड़ता है....मुझको
जिसको कहते हैं.... हमसफर हमराह और जाने क्या क्या..उसी के रंग में ढल जाना पड़ता है....
मुझको....
कभी तो करेगा तो फिकर मेरी इतना सा कह कर दिल को बहलाना पड़ता है....मुझको
रात में निकल जाती हु....खयालों के रास्ते पर खुद को लेकर...
सुबह होते ही खुद को ढूंढ कर लाना पड़ता है.... मुझको...
नाम आंखे हो मेरी.
तो परवा नहीं किसी को...
खुशी मै सब की मुस्कुराना पड़ता है.... मुझको
समेटे बैठी रहती हूं...
में ज़ख्मो को अपने अंदर...
हर एक आह पऱ अशआर बनाना पड़ता है.... मुझको.
दरिंदों को भी शर्मा जाए उसकी खतओ पऱ....
उस शख्श को अपना शोहर बताना पड़ता है.... मुझको.
मेरी आना मेरा वजूद गया तो गया कहा... ना चाहते हुए भी
उस शख्श के साथ जीवन बिताना पड़ता है.... मुझको.
जुल्म करने वाले से ज़ियादा ज़ालिम ज़ुल्म सहने वाला होता है
ये बात सबको बताया करती थी. आज इस बात को झुठलाना पड़ता है...... मुझको.
मेरी जिंदगी कितने अंधेरों में है इसकी खबर नहीं किसी को....
घर के एक हर एक कोने में चिराग जलाना पड़ता है मुझको..
उदास को दिल चाहे कितना भी.
उस शख्श के लिये चेहरे को सजाना पड़ता है... मुझको
मेरे किरदार की खूबसूरती मायने नहीं रखती उसके लिए...
नई नई चीजों से खुद को खूबसूरत बनाना पड़ता है मुझसे...
ताक में रख के को खुशियों को अपनी.... मकान को घर बनाना पड़ता है... मुझको...
हर पल हर लम्हा खुद को बेहलाना पड़ता है,,, मुझको.
फ़िज़ा तन्वी ✍️✍️
Miss Lipsa
29-Sep-2021 06:01 PM
Bohot khoob😍........!! but ..🤔
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Shalini Sharma
17-Sep-2021 03:40 PM
Very nice
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राधिका माधव
15-Sep-2021 03:24 PM
नाइस..👌👌
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