Vishal Ramawat

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फ़र्ज(भाग:-1)



नोट :- यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसमे दिखाय  गए पात्र , स्थान,नाम सब काल्पनिक तौर पर इस्तेमाल किया गया है।



चारो तरफ लोगो की भीड़ थी ,सभी लोग आपस मे बाते करते हुए अपने अपने काम से बाजार में ग़ुम रहे थे। तभी अचानक एक  ऐसा धमाका हुआ जिसकी आवाज मीलों तक सुनी गई। 29 मंजिला  इमारत थर्रा गई थी। कुछ सेकेंड में ही धूल में मिल गयी। जो जहां था वहीं गिर पड़ा और काला धुआं छंटा तो तबाही सामने आई। चारों ओर छितराईं लाशें, रोते-बिलखते और डर से चीखते लोग दिख रहे थे। चारों तरफ बस खून ही खून था, कुछ देर पहले लोग कितने खुश लग रहे थे और कुछ ही मिनटों में सब कुछ बदल गया! 

एक  4 से 5 साल का बच्चा तीन लाशों के पास बैठा हुआ रो रहा था, सिर से खून निकल रहा था, उसके भी हाथ और पैर में चोटे आयी थीं। 

उन तीनो लाशो में एक  आदमी की लाश थी,एक औरत की और एक लडक़ी की थी जो  2 से 2.5 साल की होगी। बच्चे की रोने की आवाज बाकी लोगो की चीखो के बीच कहीं दब सी गयी  थी।

 
एक लड़का अचानक से उठा उसका चेहरा पुरा पसीने से भीगा हुआ था, उसने गहरी साँसे लेते हुए अपना पसीना पोछते हुए कहा "फिर वही सपना"
 । उसकी सासे तेजी से चल रही थी फिर उसने खुद को कंट्रोल किया और पानी पिया ।
उसने अपनी घड़ी निकाल कर टाइम देखा तो सुबह के 4 बज रहे थे। वह अपना जैकेट पहनकर बाहर आ गया


इस लड़के का नाम है कैप्टन अभिमन्यु सिंह शेखावत  जो अभी आर्मी बेस कैंप में था, चहरे पर कोई भाव नही , ज्यादा टाइम सीरियस रहने वाले ऑफिसर था
छोटे बाल, 6'2 की हाइट भूरि आँखे जिसमे एक उदासी छुपी हुई थी। उसके दाहिने हाथ के अंगूठे के पास एक बर्थ मार्क था!
वह अपनी पर्सनालिटी के  हिसाब से एक सख्त ऑफिसर था जिसको ड्यूटी के वक्त बिलकुल भी लापरवाही बर्दाश्त नही थी।


अभिमन्यु  अपने रूम से बाहर निकल गया कुछ जवानों ने जब  उसको बाहर आते हुए देखा तो सबने अपनी पोजीशन सम्भाली फिर उन्होंने उसको सेल्यूट किया जिनकी नाईट शिफ्ट थी।
 अभिमन्यु मुस्कुराते हुए सबको जय हिंद बोलता हुआ आगे बढ़ गया, और थोड़ा दूर जाके एक पत्थर पर बैठ गया, ओर आसमान में टिमटिमाते तारो को देखते हुए उसने अपनी जैकेट की जेब से कुछ निकाला ओर एक बार उसको देखा फिर तारो को देखते हुए किसी सोच में डूब गया! 

 उसकी आखो से आँसू निकल कर उसके हाथों पर गिर रहे थे। जब उसकी नजर अपनी घड़ी पर गयी जो 5 बजने का इशारा कर रही थी। उसने अपनी आखो मे आये आँसुओ को साफ किया ओर उस चीज को वापस अपने जैकेट के जेब मे रखा और अपने रूम की ओर चला गया।


तैयार हो कर वह परेड के लिए ग्राउंड में पहुंच गया,  उसे लेट होना बिल्कुल भी  पसन्द नही था।  धीरे धीरे जवान ग्राउंड में आना शुरू हुए । अब तो यह रोज का हो गया था कि अभिमन्यु से पहले कोई नही उठ पाता था। तभी किसी ने पीछे से आकर अभिमन्यु के कंधे पर हाथ रखा, अभिमन्यु पीछे पलटा तो सामने खड़े शक्स ने कहा  "गुड मोर्निंग कैप्टन"
अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा "गुड मॉर्निंग कैप्टन जयदेव" और हाथ मिलाया


कैप्टन जयदेव मध्यप्रदेश से थे । कदकाठी में अभिमन्यु के जैसे ही दिखते है । हमेशा मुस्कुराते हुए रहते है और शांत स्वभाव के है।  कुछ साल पहले इनकी शादी हो गईं थी और एक लड़का है जिसका नाम शौर्य  जो अभी 5 साल का है पर उसकी शैतानियां उससे भी बड़ी है। जय , अभिमन्यु का अच्छा दोस्त भी है ।


फिर दोनो मिल कर जवानों को परेड करवाने लगे। यहा हर एक जवान अभिमन्यु के ऑन ड्यूटी गुस्से से वाकिफ था उसको यह बिल्कुल भी पसंद नही था कि कोई जवान ड्यूटी पर कोई लापरवाही करे! इसीलिए सभी जवान शान्ति से निदेशानुसार काम कर रहे थे। अभिमन्यु ने फिर बोलना शुरू किया - 

"एक सैनिक की जिंदगी में डिसिप्लिन और ट्रेनिंग अहम भूमिका अदा करते हैं, एक सैनिक खुद को जितनी मजबूती से ट्रेन करता है, उसके लिए खुद को बचाए रखना और दूसरों पर हमला करना उतना ही आसान हो जाता है, तो आप भी अपनी ट्रेनिंग का खयाल रखें, 
हमेशा चौकन्ना रहना चाहिए ,युद्ध के मैदान में सिर्फ चौकन्नापन ही एक सैनिक की जिंदगी को महफूज रखता है, जहां चारों तरफ बमगोले और गोलियां बरस रही हों वहां एक चूक से जान पर आफत आ सकती है, ऐसे में आप को चौकन्नेपन को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाना चाहिए जिससे आप अपनी ओर अपने साथियों की जान बचा सकते हो"

अभिमन्यु फिर आगे कहता है 
"सीनियर्स का सम्मान और जूनियर्स को स्नेह... आप सभी को  अपने सीनियर्स का सम्मान करना चाहिये और जूनियर को  स्नेह देना चाहिए, आप सबको पता है कि हम सब अपने परिवार से कितने दूर है यह आप सब अच्छी तरह से जानते है इसलिए हम सब ही एक दूसरे के परिवार है जैसे इतने सालों से करते आए है वैसे ही आगे भी करते रहना हैं, और अपने देश तथा देशवासियों की रक्षा करनी है , आपको  हमेशा महिलाओं और बच्चों की इज्ज़त करते रहना चाहिए"


परेड खत्म होने के बाद अभिमन्यु पेट्रोलिंग के लिए चला गया और कैप्टन जय  जवानों को ट्रेनिंग करवा रहै थे।

इसी तरह कैप्टन अभिमन्यु पेट्रोलिंग से वापस आये तब तक दोपहर के खाने कहा समय हो गया था । सभी के साथ हँसी मज़ाक के साथ खाना खत्म करके  सारे जवान वापस अपनी ड्यूटी करने लगे । ऐसेही दिन निकल गया और शाम हो गई . अभिमन्यु अपनी ड्यूटी से फ्री हो कर रूम पर आया और नहा कर आराम करने लगा अभी उसकी आंख लगी ही थी कि कैप्टन जय आवाज देते हुए उसके रूम में आ रहे थे। जय  उसको नीद से उठाकर बाहर ले गया। 


ग्राउंड में कुछ जवान  खेलने के लिए इकट्ठा हुए थे । कैप्टन अभिमन्यु एक तरफ ओर कैप्टन जय एक तरफ़ । दोनों ने अपनी अपनी टीम को चुना ओर सभी कबडडी खेलने के लिए बिल्कुल तैयार खड़े थे। खेल स्टार्ट हुआ , सबसे पहले अभिमन्यु गया रेड करने ,वो काफी अंदर चला गया था उसको पीछे से पकड़ने के लिये दो जवान आये। दोनों जवानों ने अभिमन्यु के पैरों को  पकड़ने के लिए जम्प मारा और अभिमन्यु ने कंधे  पर हाथ रख कर उनके ऊपर से जम्प कर दिया। 

जय एकटक अभिमन्यु को देखता ही रह गया और शॉक होते हुए बोला "यह क्या था"।
अभिमन्यु हँसते हुआ बोला "एक शेर का शिकार करना इतना भी आसान नही होता है" इस बार सामने से जय आया , उसको पकड़ने की किसी ने भी कोशिश नही की जब वह काफी  अंदर आ गया तब पीछे से अभिमन्यु आ गया। जय जम्प मारने को हुआ कि अभिमन्यु ने उसको कंधे पर उठा लिया। और अभिमन्यु जोर जोर से बोलने लगा "आलु ले लो, आलु ले लो"

सारे जवान आज एक अलग ही अभिमन्यु को देख रहे थे जो आज खुल कर मुस्कुरा रहा था। उसको मुस्कुराते देख जय के चेहरे पर भी मुस्कराहट आ  गयी। ऐसे ही हँसी मजाक के साथ खेल जारी रहा , दोनों ही टीम अच्छी खेल रही थी और 2 पॉइंट के अंतर से अभिमन्यु जीत गया। फिर सभी जवान अपने अपने रूम में चले गये ओर फ्रेश हो कर खाना खाने चले गए। सभी जवान शाम के मैच के बारे में बात करते हुए खाना खा रहे । बाते कम, हँस ज्यादा रहे थे।


खाना खा कर सभी अपने अपने कमरे में चले गए । अभिमन्यु अपने कमरे में आया और अपनी कबर्ड से कुछ निकाला ओर बाहर की ओर निकल गया । वहा जा के एक पत्थर पर बैठ गया और अपने जैकेट की जेब से कुछ निकाला और उसे अपने सीने से लगा कर बैठ गया उसकी पलके गीली हो गईं थीं ।  आसमान में चमकते हुए तारो को देख कर वह बोला "क्यों इतने जल्दी चले गए, मुझे भी अपने साथ ले जाते  आपके बिना यहाँ बिल्कुल भी मन  नही लगता" 

कभी हँसा ती है तो,
कभी रुलाती है, 
"खुशी  " तेरी यादे मुझे बहुत सताती है
तेरी याद बहुत आती ।

"मैंने जब भी अपनी जिंदगी में तेरी कमी महसूस की है 
इन आँखों ने हमेशा नमी महसूस की है"


कैसे हो कैप्टन? पीछे से आवाज आई अभिमन्यु ने अपनी आँखें साफ की ओर पीछे देख कर बोला "सर आप"
जल्दी से पत्थर से नीचे उतर कर  सेल्यूट  किया। ओर बोला "ठीक हु सर्"

सामने मेजर  विपिन पटेल खड़े थे । उन्होंने ने भी जय हिंद बोला ओर अभिमन्यु को बैठने का बोल कर खुद भी बैठ गए । उन्होंने अपनी जेब से चीलम निकाली और जला के पीते हुए  अभिमन्यु की ओर देखने लगे।

उन्होंने पहले अभिमन्यु की आँखे देखी जो रोने की वजह से लाल थी और फिर उसके हाथ मे पकड़ी हुई डॉल को देखा। फिर बोले "तो मिल गए तुम्हें, तुम्हारे सवालों के जवाब" । वह कुछ नही बोला बस आसमान को देख रहा था । 

मेजर बोले  "देखो अभिमन्यु तुम्हें खुद को संभालना होगा।तुम ऐसे खुद को कमजोर नही कर सकते हो, इस दुनिया मे   जो कोई भी जन्म लेता है उसका कोई न कोई मकसद जरूर होता है" थोड़ी देर बात करने के बाद मेजर वहाँ से चले जाते हैं....... 

क्या अभिमन्यु अपना मकसद जान पायेगा? क्या उसकी जिंदगी ऐसी ही उदास बनी रहेगी या देगा कोई दस्तक खुशियों के साथ, जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी फ़र्ज़ मिलते हैं अगले चेप्टर मे तब तक के लिए 
हस्ते रहिये मुस्कुराते रहिये और अपना खयाल रखिये क्योंकि कोई और रखने नही आयेगा, सुनिये सबकी करिये अपने दिल की


।।जय सियाराम।।

vishalramawat"सुकून"(जाना)
# वानी(एडिटर)

कमशः

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15 Comments

kashish

11-Mar-2023 02:17 PM

nice

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Radhika

04-Feb-2023 07:53 PM

Nice

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Sant kumar sarthi

04-Feb-2023 07:35 PM

Nice 👍🏼

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