Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -31-Jan-2023 यथार्थ में जो देखे सपने

शीर्षक-यथार्थ में जो देखे सपने
जो देखे सपने जागते,
वो  कभी नहीं  हारते,
हमेशा उनका साथ निभाते।

खुली आंखों के सपने,
यथार्थ की राहों को बुनते,
मंजिल की राह पर चलते।

अभिलाषा का बनाकर बांध,
परिश्रम को लेकर साथ,
सपने होते उनके हाथ।

जो सो कर देखता सपना,
हमेशा के लिए वो हाथ मलता,
जिंदगी भर उसको खलता।

यथार्थ में देखता सपना,
मंजिल की ओर वही बढ़ता,
स्वप्न को पूरा करता।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

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5 Comments

Gunjan Kamal

02-Feb-2023 11:31 AM

शानदार प्रस्तुति 👌

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sunanda

01-Feb-2023 03:45 PM

nice message and very nice poem

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Abhinav ji

01-Feb-2023 07:53 AM

Very nice 👌

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