लेखनी कहानी -01-Feb-2023-बाल कथाय-3
ईमानदारी
विक्की अपने स्कूल
में होने वाले
स्वतंत्रता दिवस समारोह
को ले कर
बहुत उत्साहित था।
वह भी परेड़
में हिस्सा ले
रहा था।
दूसरे दिन वह
एकदम सुबह जग
गया लेकिन घर
में अजीब सी
शांति थी। वह
दादी के कमरे
में गया, लेकिन
वह दिखाई नहीं
पड़ी।
"माँ,
दादीजी कहाँ हैं?"
उसने पूछा।
"रात को वह
बहुत बीमार हो
गई थीं। तुम्हारे
पिताजी उन्हें अस्पताल ले
गए थे, वह
अभी वहीं हैं
उनकी हालत काफी
खराब है।
विक्की एकाएक उदास हो
गया।
उसकी माँ ने
पूछा, "क्या तुम
मेरे साथ दादी
जी को देखने
चलोगे? चार बजे
मैं अस्पताल जा
रही हूँ।"
विक्की अपनी दादी
को बहुत प्यार
करता था। उसने
तुरंत कहा, "हाँ,
मैं आप के
साथ चलूँगा।" वह
स्कूल और स्वतंत्रता
दिवस के समारोह
के बारे में
सब कुछ भूल
गया।
स्कूल में स्वतंत्रता
दिवस समारोह बहुत
अच्छी तरह संपन्न
हो गया। लेकिन
प्राचार्य खुश नहीं
थे। उन्होंने ध्यान
दिया कि बहुत
से छात्र आज
अनुपस्थित हैं।
उन्होंने दूसरे दिन सभी
अध्यापकों को बुलाया
और कहा, "मुझे
उन विद्यार्थियों के
नामों की सूची
चाहिए जो समारोह
के दिन अनुपस्थित
थे।"
आधे घंटे के
अंदर सभी कक्षाओं
के विद्यार्थियों की
सूची उन की
मेज पर थी।
कक्षा छे की
सूची बहुत लंबी
थी। अत: वह
पहले उसी तरफ
मुड़े।
जैसे ही उन्होंने
कक्षा छे में
कदम रखे, वहाँ
चुप्पी सी छा
गई। उन्होंने कठोरतापूर्वक
कहा, "मैंने परसों क्या
कहा था?"
"यही कि हम
सब को स्वतंत्रता
दिवस समारोह में
उपस्थित होना चाहिए,"
गोलमटोल उषा ने
जवाब दिया।
"तब बहुत सारे
बच्चे अनुपस्थित क्यों
थे?" उन्होंने नामों की
सूची हवा में
हिलाते हुए पूछा।
फिर उन्होंने अनुपस्थित हुए
विद्यार्थियों के नाम
पुकारे, उन्हें डाँटा और
अपने डंडे से
उनकी हथेलियों पर
मार लगाई।
"अगर तुम लोग
राष्ट्रीय समारोह के प्रति
इतने लापरवाह हो
तो इसका मतलब
यही है कि
तुम लोगों को
अपनी मातृभूमि से
प्यार नहीं है।
अगली बार अगर
ऐसा हुआ तो
मैं तुम सबके
नाम स्कूल के
रजिस्टर से काट
दूँगा।"
इतना कह कर
वह जाने के
लिए मुड़े तभी
विक्की आ कर
उन के सामने
खड़ा हो गया।
"क्या
बात है?"
"महोदय,
विक्की भयभीत पर दृढ़
था, मैं भी
स्वतंत्रता दिवस समारोह
में अनुपस्थित था,
पर आप ने
मेरा नाम नहीं
पुकारा।" कहते हुए
विक्की ने अपनी
हथेलियाँ प्राचार्य महोदय के
सामने फैला दी।
सारी कक्षा साँस रोक
कर उसे देख
रही थी।
प्राचार्य कई क्षणों
तक उसे देखते
रहे। उनका कठोर
चेहरा नर्म हो
गया और उन
के स्वर में
क्रोध गायब हो
गया।
"तुम सजा के
हकदार नहीं हो,
क्योंकि तुम में
सच्चाई कहने की
हिम्मत है। मैं
तुम से कारण
नहीं पूछूँगा, लेकिन
तुम्हें वचन देना
होगा कि अगली
बार राष्ट्रीय समारोह
को नहीं भूलोगे।
अब तुम अपनी
सीट पर जाओ।
विक्की ने जो
कुछ किया, इसकी
उसे बहुत खुशी
थी।