Vishal Ramawat

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फ़र्ज(भाग:-2)

फ़र्ज़  चेप्टर 2

अब तक आपने पढ़ा अभिमन्यु कोई सपना देखता है , जो उसे सालों से आ रहे हैं जयदेव के साथ कब्बडी का मेटच् खेलता है और सब आराम करने चले जाते हैं, अभिमन्यु वही अपनी रोज़ वाली जगह पर बैठ जाता है 

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"अब आगे "

मेजर बोले तुम एक बेसकीमती इंसान हो समझे अभिमन्यु। ऐसे खुद को कमजोर नही कर सकते । हर दिन एक नया सूरज निकलता है , एक नया सवेरा होता है,इसलिए हर पल खुल कर जियो ओर हर दुख में खुशी ढूढ़ निकालो"
 मेजर बोले "काफी रात हो गयी है जाकर सो जाओ"  अभिमन्यु उठ कर अंदर चला गया और मेजर आसमान की ओर देखते हुए बोले:-

"लोग कहते है कि रात गयी बात गयी पर 
यहाँ तो रात होते ही बाते शुरु होती हैं
जैसे जैसे रात गहरी होती जाती उनकी याद उतनी ही ज्यादा सताती जाती है "

फिर मेजर भी अपने रूम की ओर चले गए।

अगले दिन हमेशा की तरह अभिमन्यु 5 बजे से पहले उठ गया और तैयार हो कर ग्राउंड में आ गया, धीरे धीरे सारे जवान आने शूरु हुए,   कैप्टन जय ओर अभिमन्यु ने परेड करवानी शुरू की! जब परेड खत्म होने के बाद सभी नास्ता करने के लिये मेस की ओर गए। सभी जवान नास्ता करते हुआ आपस मे बाते कर रहे थे , जवान अभिमन्यु से, कुछ कहना चाहते थे पर कोई कुछ भी नही बोल पा रहा था। अभिमन्यु यह सब नोटिस कर रहा था, उसने नास्ता करते हुए सभी की ओर देखा और बोला "किसी को कुछ कहना है"
सभी ने ना में अपनी गर्दन हिला दी, फिर वह उठ कर बाहर चला गया । सभी जवान एक दूसरे का मुंह देखने लगे फिर अगले ही पल कैप्टन जय को देखने लगे । कैप्टन ने उनको अपनी ओर देखता पा कर बोला "ऐसे क्यों देख रहे हो" 


उन मे से एक जवान ने जय को कुछ बताया तब सभी जवान अपने कैप्टन की ओर उम्मीद भरी नज़रो से देख रहे थे! जय बोला , "मैं नही कर सकता कैप्टन से बात ,वो गुस्सा जल्दी हो जाते है, और अगर गुस्सा हो गए तो ग्राउंड के चक्कर कौन लगाएगा"


तभी एक जवान बोला, "सर आप ही है जो कैप्टन को मना सकते है, वो आपकी बात मानते है, अगर गुस्सा भी हो गए तो आप मना लोगे सर को! 
कैप्टन है जो मेजर सर से इस बारे में बात कर सकते है, मेजर कैप्टन को ना नहीं कर सकते , वो उनकी बात जरूर मानेगें"
 जय बोला "ठीक है मै शाम को अभिमन्यु से बात करता हूँ देखते है क्या होता है" 


अभिमन्यु मेस से निकल कर मेजर सर के पास गया उन्होंने उसे बुलाया था, सर ने उसे किसी काम से बाजार भेजा था । वह 2 जवानों को साथ ले कर निकल गया। वह अपना काम खत्म करके वापस जाने के लिए गाड़ी में बैठने वाला था  तभी उसके पास एक बच्ची आयी जो मुश्किल से 10 से 12 साल की होगी  

उसके हाथ मे गुलाब का फूल था । वह बच्ची अभिमन्यु को देखते हुए बोली "ले लीजिए साहब सुबह से एक भी नही बिका"
अभिमन्यु कुछ पल तो उस बच्ची को देखता रहा फिर उसने वो फूल ले लिया । उसने पूछा "कितने का है"

 वो हँसते हुए बोली "सबके लिए तो 10 रु का ,पर आपके लिए 5 रु का" अभिमन्यु गाड़ी से निकल कर बाहर आया और नीचे घुटने के बल बैठ कर लड़की से पूछा "ऐसा क्यो"

वो मुस्कराकर बोली "साहब अम्मी कहती है आप लोग हमारी रक्षा करते है आप बिना किसी स्वार्थ के देश के सेवा करते है, और अम्मी यह भी कहती है की हमेशा आप लोगों का सम्मान करना चाहिए"


अभिमन्यु उसकी मासूमियत भरी बातें सुन कर मुस्कुरा गया।  उसने, उससे पूछा "आपका नाम क्या है 

वो बच्ची बोली "सोफिया साहब"
 अभिमन्यु बोला  "आपकी अम्मी कहा है"

 वह बच्ची अभिमन्यु का हाथ पकड़ अपने साथ ले जाने लगी। साथी जावन कुछ बोलने को हुए की अभिमन्यु ने उन्हें शांत रहने का इशारा किया और वो उस के साथ चलने लगा। उनके पीछे दोनों जवान कुछ दूरी पर चल रहे थे।

थोड़ा दूर जाकर सोफिया रुक गयी और अभिमन्यु का हाथ छोड़ कर  जाके अपनी अम्मी के गले लग गयी। तभी सोफिया के अब्बा की नजर कुछ दूरी पर खड़े ऑर्मी के जवानों कर पड़ी ।
 वो बोले "क्या करके आयी हो सोफी बेटा, आर्मी वाले तेरे पीछे क्यों है"
 उसकी अम्मी भी उनके पास आके खड़ी हो गयी। वो दोनों परेशान हो गए थे।। उनको परेशान होता देख अभिमन्यु उनके पास आया और बोला "नमस्ते मेरा नाम कैप्टन अभिमन्यु है"

 उन्होंने भी नमस्ते किया और बोले "मेरा नाम सलीम है ओर यह है मेरी बेगम साइमा"
 सलीम बोला "सोफिया ने अगर कुछ किया हो तो में माफी मांगता हूं आप बच्ची है इसे माफ् कर दे"
अभिमन्यु बोला "ऐसा कुछ नही है, वैसे आपकी बेटी बहुत प्यारी है" 


अभिमन्यु ने उनकी स्थिति देखी जो काफी खराब थी वह इनकी कुछ मदत करना चाहता था। और साथ ही वह इनके स्वाभिमान को भी ठेस नही पहुंचाना चाहते था। उसने कुछ सोचा ओर बोला "मुझे  गुलाब के फूल चाहिये थे"
 सलीम ने कुछ फूल अभिमन्यु की ओर बढ़ाया तो वह बोला "नही मुझे ज्यादा चाहिए, मतलब सारे फूल जितने आपके पास है" 

 सलीम ओर साइमा आश्चर्य से एक दूसरे को देख रहे थे । सलीम बोला "साहब आप क्या करेंगे इतने फूलो का"
 तो अभिमन्यु बोला "परिवार वालो के लिए लेकर जा रहा हु"

तभी सलीम बोला "आपके परिवार वाले भी ऑर्मी में है"
 नही, अभिमन्यु बोला
साइमा बोली "तो साहब आप इतने सारे फूलो का क्या करेंगे"

 कैप्टन बोले, "आर्मी के सारे जवान हमारे परिवार ही तो है, हम यहाँ एक दूसरे के दुख सुख में हमेशा साथ रहते है ,तो हुए ना परिवार वाले"
 सलीम मुस्कराते हुए  बोला "जी साहब सही कहा आपने  आप लेकर जा सकते है सारे फूल"


अभिमन्यु ने जवानों को बोल कर सारे फूलो की टोकरीया गाड़ी में रखवा ली। और पैसे देने के लिए जेब में  हाथ डाला तो पर्स था ही नही, वो अपने रूम में ही भूल आया था। उसने एक जवान से पैसे लिए ओर सलीम की ओर बढ़ाय,  जो फूलो के मूल्यों से थोड़े ज्यादा थे तो सलीम ने लेने से मना कर दिया। अभिमन्यु बोला "यह आपकी मेहनत की कमाई है मै या कोई आपको फ्री में नहीं दे रहा है"
सलीम बोला "ठीक है साहब" और पैसे ले लिए


अभिमन्यु ने सोफिया से पूछा "आप चॉकलेट खायेंगी" , उसने हा में सिर हिलाया। अभिमन्यु ने अपने साथ चलने का कहा तो वह अपनी अम्मी की ओर देख रही थी। साइमा ने जाने की इजाजत दी तो वो भाग कर अभिमन्यु के पास आ गयी। दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर पास की दुकान पर गए उसने सोफिया को चॉकलेट दिलाई ओर वह  वही बैठ कर खाने लगी और अभिमन्यु उसको प्यार से मुस्कुराते हुए देख रहा था।
 दोनों वहाँ से उठ कर आइसक्रीम वाले के पास गए । वहाँ से आइसक्रीम लेके दोनों पास में एक जगह बैठ गए ओर बाते करने लगे। अभिमन्यु ने उससे पूछा "आप स्कूल नही जाती"
 तो वो बोली "जाती हु आज स्कूल की छुट्टी थी इसी लिए अम्मी अब्बु के काम मे मदद करने आ गयी"
वह बोला "आप यहां आती रहती है" , सोफिया बोलती है "जब भी छुटी होती है तब आ जाती हूं" 


अभिमन्यु ,सोफिया से बात करते हुए काफी खुश लग रहा था। उसके साथी जवानों से उसे काफी दिनों के बाद इतना खुश देखा था। अभिमन्यु ने सोफिया को उसके अम्मी अब्बु के पास वापस छोड के सभी को बाय बोल कर आपनी गाड़ी की तरफ आ गए।  अभिमन्यु को वापस आने में शाम हो गयी थी । 


सभी जवान कैप्टन जय को चारों तरफ से घेर कर बैठे थे। 5 बजे के आस पास अभिमन्यु वापस कैम्प पहुँचा । गाड़ी से निकलकर वह सीधे मेजर के कैबिन की ओर गए , कैप्टन जय के साथ सभी जवानों ने देख कैप्टन आज खुश है और उनके एक हाथ मे एक फ़ाइल थी और एक हाथ मे 2 गुलाब के फूल है।  अभिमन्यु के जाने के बाद उसके साथ गए जवनो को बुला कर पूछा "कैप्टन आज इतने खुश लग रहे है और उनके हाथ मे गुलाब के फूल कैसे"
 उन दोनों जवानों ने कैप्टन जय को सारी बात बता दी जो आज बाजार में हुई थी। जो सुन कर हर किसी जवान के मन मे कैप्टन के लिए सम्मान और बढ़ गया ।


कैप्टन  मेजर के केबिन में पहुंचे । उन्होंने अंदर जाकर जय हिन्द बोला। मेजर बोले "जयहिंद कैप्टन , काम हो गगया" अभिमन्यु ने वो फ़ाइल मेजर की ओर बड़ा दी और साथ मे एक गुलाब का फूल भी। मेजर ने कैप्टन की ओर देखा तो उन्होंने  सारी बात बता दी। फिर बोले "सर ऐसे मदद करता तो वो लेते नही इसलिए उनके स्वाभिमान को बिना चोट पहुंचाए उनकी मदद की। सारे फूल लेकर आ गया, सोचा अपने जवानो में बांट देंगे"। मेजर बोले "बहुत अच्छा किया इसी लिए में तुम पर गर्व करता हूँ"


मेजर वो फ़ाइल पढ़ने लगे और कैप्टन जयहिन्द बोल कर बाहर आ गए। बाहर उन्हें कैप्टन जय मिल गए ,जय बोला "कुछ बात करनी थी कैप्टन"
 अभिमन्यु बोले "बोलिय कैप्टन" जब जय कुछ नही बोल पा रहे थे तो अभिमन्यु बोला "वहाँ चल कर बात करते है" अभिमन्यु ने कुछ जवानो को बुलाकर सारे फूलो को जवानो में बाटने का कहा। 


दौड़ी दूर जाके दोनों कैप्टन बैठ कर बाते करने लगे । अभिमन्यु , जय को आज जो हुआ वो बता रहा था । यह सब बताते हुए उसके चेहरे पर से मुस्कराहट जाने का नाम ही नही ले रही थी। फिर अभिमन्यु बोला "आप कुछ कहना चाहते थे"

 जय कुछ बोलने की कोशिश कर रहा था पर बोल नही पा रहा था। अभिमन्यु ने ध्यान दिया तो देखा वह अपने पैरो से मिट्टी बिखेर रहा था। ओर  उनसे कुछ दूरी पर कुछ जवान उनको देख रहे थे। कैप्टन को समझने में  देर नही लगी कि कैप्टन जय जवानों की कुछ सिफारिश लेकर आये हैं


अभिमन्यु ने वापस पुछा "कुछ बोलना है"
जय ने ना में गर्दन हिला दी , अभिमन्यु ने जय के कंधों को पकड़कर अपनी तरफ करके कहा  "बोलो अब क्या बात है"
 जय डरते हुए बोला "नया साल आ रहा है अपने जवानों की इक्षा है कि इस बार सभी जवान साथ मे पार्टी करें, अपने कैम्पस में ,सभी डर रहे थे आपसे बात करने के लिये इसलिए उन्होंने मुझे यह बोल कर भेजा की में आपको मनाऊ ओर आप मेजर सर को मनाओ"

 यह सब जय एक स्पीड़ से बोल कर चुप हो गया। उन्होंने अभिमन्यु की ओर देखा तो वह शांत भाव के साथ जय को देख रहे थें। जय के साथ साथ सभी जवानो की धड़कनें बढ़ गयी थी सभी यही सोच रहे थे की अब कैप्टन क्या कहेंगे! 


मासुमियत भी कमाल करती है

सख्त दिल को भी नरम करती है! 

क्या जवाब देगा अभिमन्यु? क्या मोड लेने वाली है कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी फर्ज़ मिलते हैं अगले चेप्टर मे तब तक के लिए
अपना खयाल रखिये क्योंकि कोई और रखने नही आयेगा, सुनिये सबकी करिये अपने दिल की..... 



।। जयसियाराम ।।

vishalramawat"सुकून"(जाना)
@वानी

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12 Comments

शानदार प्रस्तुति 👌

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Radhika

04-Feb-2023 07:54 PM

Nice

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