रहीमदास जी के दोहे
दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय।।
अर्थ—
रहीमदास जी कहते हैं कि दुख में सभी लोग प्रभु को याद करते हैं किन्तु सुख में कोई सुमिरन नहीं करता, यदि सुख में भी याद करते तो दुख होता ही नहीं।