रहीमदास जी के दोहे
जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय।।
अर्थ—
रहीमदास जी कहते हैं कि दीपक के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ दोनों अंधेरा फैलाने लगते हैं।