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लेखनी प्रतियोगिता -01-Feb-2023


ओस की एक बूंद
मिली सुबह सवेरे धुंधलके
नाजुक पौधे की नई नवेली
पत्तियों से हिलती मिलती 
पानी का रूप लिए
मौसम का संदेश पहुंचाती
जैसे प्रकृति ने सहलाये हों 
अपने हरियल बच्चों के सर
और छोड़ दिये अपनी 
प्यार के अमृत निशान।

ओस की बूंदें
बिखरी घास के ऊपर
जैसे आसमान ने धरती पर
बिखरा दिया हो अपनी
ममता का सागर जो 
सबपर समान बरसा हो 
जो बताता है प्यार बरसता है
इतनी ही शांति से
और अनुभव में इतना शीतल
होता है कि सम्पूर्ण प्रकृति
ओत प्रोत नजर आती है
और यह वास्तविक प्रेम की
प्रत्यक्ष निशानी है।

ओस की नन्हीं बूंदें
सन्देश देती हैं कि जब हम
हो जाते हैं शांत रात जैसे
निष्चेष्ट प्रकृति की तरह
तो अदृश्य हवाओं से जैसे
ओस की बूंदें प्रकट हो जाती हैं
वैसे ही चित्त की धरती पर
शांत मन और तन में आत्मा
प्रतिबिंबित हो जाती है
और अदृश्य भावों से सार 
निकल आता हैं ओस की बूंदों की तरह।।



 

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7 Comments

बहुत खूब

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Gunjan Kamal

02-Feb-2023 11:32 AM

बहुत खूब

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Abhinav ji

02-Feb-2023 08:50 AM

Very nice 👌

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