रहीमदास जी के दोहे
दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं
जान परत हैं काक पिक, ऋतु वसंत कै माहि।।
अर्थ—
रहीमदास जी कहते हैं कि कोयल और कौवा दोनों रंग में एक समान दिखते हैं जब तक कि वे बोलते नहीं किंतु वसंत ऋतु के आते ही कोयल के बोलने पर दोनों का भेद प्रकट हो जाता है