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लेखनी कविता -02-Feb-2023

सुहानी सुबह


कुछ जागी कुछ अलसायी सी
रुई सी सफेद फैली झीनी चादरें
आसमान से उतरती इतराती 
सुरमई किरणों की छटाएं
उठो जागो देखो 
आ गई है जगाने मुस्कुराती सुहानी सुबह

हो रही अठखेलियां सी
पूरब में सुरमई किरणों और कुहासों के बीच
दौड़ कर जैसे पहले छूना चाहती
ऊंचे भवनों की शिखरों को
हरी हरी धरती मां की इस चुनरिया में
चमक रहे मोतियों सी बूंदों को
देख लो आ गई है सुहानी सुबह


चिड़ियों की चहचहाहट
कोयल की कूक
कबूतरों की गुटर गूं 
तोता मैना की मीठी बोली
सरसराती ठंडी ठंडी सी पुरवाई
दूर मंदिरों की सुहानी घंटियों का संगीत
सभी आ गए 
प्राणदायिनी अमूल्य पलों का भेंट लेकर
आओ बुला रही सुहानी सुबह

 ✍️जे. एल. देवांगन "जलज"🌻
   पुणे 
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹




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5 Comments

Gunjan Kamal

05-Feb-2023 02:17 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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बहुत खूब

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अदिति झा

03-Feb-2023 10:57 AM

Nice 👍🏼

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