लेखनी कविता -मेरा देश-02-Feb-2023
*मेरा देश*
जहां कल कल छल छल,
बहती गंगा की धारा ।
युग युग से बहता आता,
यह पूर्ण प्रभाव हमारा।।
जहां अड़ा खड़ा है ,
पर्वत हिमालय राज हमारा ।
ऋषि-मुनियों ने तप किया,
औषधि की खान निराला।।
कितने ही ऋषियों की शरण
गहीं इस इस पावन धरा पर ।
कितने ही वीरों की राख बही,
गंगा की धारा में ।।
मेरे देश को परत्रंत की
बेड़ियों से मुक्त करा कर ।
हँसते हँसते सो गए
अमर शहीद इस धरा पर।।
स्वतंत्र फिजा में जीना सिखा
गए अमर शहीद जवान।
सोने के चिड़िया था मेरा देश
विश्व गुरू कहलाए मेरा देश।।
आभा मिश्रा- कोटा-राजस्थान
Gunjan Kamal
05-Feb-2023 02:13 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
04-Feb-2023 09:17 AM
बहुत खूब
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
03-Feb-2023 10:57 PM
बहुत ही सुंदर सृजन
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