Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय कली

प्रभू मै तेरे दिल की कली हूं,
तू चाहे इसे खिलाए , या न खिलाए
बो तेरी मर्जी है ,
चाह जो भी हो, 
हे प्रभु!
तेरे बिना कैसे आती?
तेरे बिना कैसे पूर्ण होती?
 विचार भी तेरी देन।
सोच भी तेरी देन।
स्वप्न भी,
स्वप्न का साकार भी 
तेरा अनुग्रह।
हर पल का साँस।
 मुख से निकले शब्द 
 दोस्ती-दुश्मनी  
 यश -अपयश ,
 नाम -बदनाम्
जो भी हो तेरे ही कारण।।
मैं हूँ तेरी संतान।
जो भी हो सब कु‌छ ,
तुझपर  ही है निर्भर।।
 मैं हूं शरणार्थी तेरा।।
 तू है शरणागत वत्सल।।
जपता हूँ तेरा नाम,
 परिणाम तुझपर ही निर्भर।।
  अनंतकृष्णन  सरिता हूँ मेरा नाम।
तू है अनंत शक्तिमान।।
मेरा बनना -बिगडना 
तुझपर ही है निर्भर ।।है ये मेरा जीवन , कली से फूल बनकर खिली तेरे चरणों मे समर्पित हूं ।🕉️🕉️🕉️🕉️
सुनीता गुप्ता सरिता 

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5 Comments

अदिति झा

06-Feb-2023 12:07 PM

Nice 👌

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Renu

04-Feb-2023 06:33 PM

👍👍🌺

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बहुत खूब

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