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तेरे प्यार की खातिर


तेरे प्यार की खातिर
प्रतियोगिता के लिये 


तेरे प्यार की खातिर मैंने कितने पापड़ बेले।
रूठ गए सब मेरे अपने कितनी मुश्किल झेले.

तू मेरे बचपन की संगी बहुत मुझे भाती थी।
मेरी टॉफी छीन मुझे अक्सर बहुत चिढ़ाती थी।
खुशी बहुत होती जब संग में आइस पाइस खेले।
रूठ गए मेरे अपने —

जीवन के गालियारे में जब यौवन चुपके से आया।
तुम बिन एक पल भी मुझको जीना नहीं सुहाया।
मौका ढूँढू मिलने का नुक्कड़ पे कभी अकेले।
रूठ गए मेरे —----

कमसिन देहयष्टि की मलिका सज कर जब आती थी।
खोल हवा में काली जुल्फें हौले से जब लहराती थी।
घूमूँ तेरे आगे पीछे जैसे पागल आशिक अलबेले 
रूठ गए सब

बोली मुझसे जॉब करो तब मैं तेरी हो जाऊँगी।
पगार मेरे हाथ में रखना बैठ मज़े से उड़ाऊँगी।
मिली नौकरी अच्छी तब भी सीधे मुँह न बोले।
रूठ गए 

बोला तुमने घर बनवा लो तब मैं तेरी हो जाऊँगी।
ए. सी कूलर भी लगवा लो, ठंडी हवा मैं खाऊँगी।
टीवी, फ्रिज और हौंडा बाइक भी जल्दी से ले ले।
रूठ गए —-----

मरता आखिर क्या न करता मोहब्बत को निभाने में।
धीरे धीरे सब कुछ जोड़ा कर मेहनत आशियाने में।
एक दिन बोली कोर्ट में चल मैरिज परमिशन ले ले।
रूठ गए

शादी चुपके से कर लेंगे कोर्ट में जानम चलकर।
आकर फिर बतलाएंगे सब अपनों को हँस कर।
खुश हुए तो वाह्ह वाह्ह नहीं तो भले अकेले।
बच जायेंगे ढेरों पैसे फॉरेन की हनीमून ट्रिप ले ले।

स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'



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8 Comments

Varsha_Upadhyay

06-Feb-2023 05:14 PM

शानदार

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अदिति झा

06-Feb-2023 11:53 AM

Nice 👌

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Renu

05-Feb-2023 11:59 AM

👍👍🌺

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