लेखनी प्रतियोगिता -04-Feb-2023 पैशन होती मेरी लाठी
शीर्षक-पेंशन है मेरी लाठी
पेंशन होती मेरी लाठी,
जीवन की बनती साथी।
जब ना होता कोई हाथ,
यही देती है मेरा साथ।
जब हो जाता शरीर जर्जर,
शरीर जाता हमारा थक।
ना कर पाता में कोई काम,
पेंशन से ही पेट भरता आज।
करो सरकार पेंशन की शुरुआत,
बुजुर्ग को मिले कि नयी आस।
जीने को मिले एक चाह,
जीवन में हो प्रसंता के भाव।
जब कोई हमें ठुकरा दे,
पेंशन से करता गुजारा।
जब हो जाएगी पेंशन की शुरुआत,
बंद हो जाएगे यह वृद्ध आश्रम।
हर बुजुर्ग का होगा अपने घर में बसेरा,
होगा जीवन में एक नया सवेरा।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा" प्रिया"
Varsha_Upadhyay
06-Feb-2023 05:14 PM
बेहतरीन
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अदिति झा
06-Feb-2023 11:57 AM
Nice 👌
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Renu
05-Feb-2023 12:00 PM
👍👍🌺
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