Vishal Ramawat

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फ़र्ज(भाग:-5)

फ़र्ज़ चैप्टर 5


अब तक आपने पढ़ा मेजर साहब सबको 26 जनवरी पर ध्यान रखने के लिए केहकर वहाँ से निकल जाते बाज़ार मे अभिमन्यु सोफिया से मिलता है जहाँ उसकी कुछ पुरानी यादें ताज़ा हो जाती हैं 

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अब आगे


एक कमरे में एक बच्चा सोफे पर बैठा हुआ था और उसके पैरों के पास एक औरत बैठी हुई थी जिसकी आँखे में नमी थी। वो औरत बच्चे के पैरों में लगी चोट पर दवाई लगा रही थी। बच्चे को दर्द तो हो रहा था पर उसकी आखों में कोई भाव नही था उसकी आँखें बस उस औरत की तरफ थी । जो उसकी माँ थी। वह लड़का अपनी माँ के अंदर अपना दर्द महसूस कर पा रहा था। वह लड़का अपनी माँ की आखों में आई नमी साफ़ करके उनके गले लग जाता है। "


अभिमन्यु जोर से चिल्लाया  "   माँ..." ओर उठ कर बैठ गया । उसने पास रखी पानी की बोतल उठाई और बिना रुके पूरी बोटल खाली कर दी । ओर फिर घड़ी देखी जिनमे  4 बज रहे थें, वो थोड़ी देर किसी सोच में गुम हो गया। फिर तैयार हो कर जल्दी बाहर आ गया । क्योंकि आज से पार्टी की तैयारी शुरू करनी थी। आज अभिमन्यु ओर जय बाकी जवानो के साथ मिलकर तैयारी शुरू कर दी और आज पूरे दिन दोनो बीज़ी रहे! 


आज वो दिन भी आ गया जिसका सबको इन्तजार था। आज रात को नये साल की पार्टी थी। सुबह से ही सभी के चेहरे खिले हुए थे। अभिमन्यु ओर जय सुबह से ही सुनील ओर बाकी जवानों के साथ मिल कर बचा हुआ काम कर रहे थे। मेजर साहब ने अभिमन्यु को अपने  कैबिन मे बुलाया जब  वो अंदर गया मेजर साहब बोले "कैप्टन आज रात पार्टी तो कैंपस के अंदर होगी, पर जो जवान बाहर ड्यूटी कर रहै है उनका क्या सोचा आपने, हमारे लिए सारे जवान एक जैसे है"

अभिमन्यु बोला "सर मैंने इस बारे मे पहले ही सोच लिया था ओर इसकी व्यवस्था कर ली थी। शाम को मै खुद उन सबको खाना और मिठाई देने जाऊँगा ,  सर आप बिलकुल भी परेशान मत होइये। मैं सब संभाल लुगा" 
मेजर साहब खुश होते हुए बोले "इसी लिए तो मेंने आपको यह जिम्मेदारी दी है"

शाम को 5 बजे अभिमन्यु जय को बचा हुआ काम खत्म करके तैयार होने का बोल कर खाने ओर मिठाई के बॉक्स लेकर निकल जाता है। काम खत्म करके जय तैयार होने चला गया। धीरे धीरे जवान तैयार होकर ग्राउंड में आने लगे क्योंकि आज की पार्टी का सारा इंतजाम यही था।जब जय तैयार होकर बाहर आया तो सारे जवान उसके पास ही इकट्ठा हो गए। 
और बोले "सर कैप्टन अभिमन्यु कहा है वो अभी तक तैयार होकर नही आये"। जय ने उनको सब बताया कि कैप्टन कहा गए है और बोला कि आ जाएंगे। आप लोग मजे करे । सभी एक साथ बोले "नही सर जब तक कैप्टन नही आ जाते पार्टी शुरू नही होगी आखिर आज यह पार्टी उनकी वजह से ही हो रही है"


उधर अभिमन्यु सभी जवानों को खाने का समान दिया और अपने हाथों से मिठाई खिलाकर नये साल की शुभकामनाएं देकर वहा से निकल गया और आते हुए रास्ते मे सोफ़िया के घर पर मिठाई का बॉक्स दिया और उससे मिल कर वापस कैंपस आ गया । उसको आने में देर ही गयी थी सभी ओर साथ मे मेजर सर भी उसका ही इंतजार कर रहे थे। अभिमन्यु  सीधा जाकर मेजर के सामने खड़ा हो गया । मेजर सर मुस्कराये ओर पार्टी शुरू करने का बोला। 


आज पूरे कैंपस को अच्छी तरह से सजाया गया था । खाने का इंतजाम भी आज ग्राउंड में ही किया था। डेकोरेशन अभिमन्यु ने अपने हिसाब से करवाई थी और खाना और दूसरी चीजों को जय ने अपने हिसाब से करवाई थी। 


सभी जवान खाना खा रहे । हल्का म्यूजिक बज रहा था सभी हँसी मजाक के साथ खाना खा रहे थे। अभिमन्यु ओर जय साथ मे बैठ कर खाना खा रहे थे तभी उनके पास मेजर सर आए उनके हाथ मे खाने की प्लेट थी। वो दोनों खड़े हो गए मेजर को देख कर। मेजर ने उन्हें बैठने का इशारा किया और उनके पास वाली चेयर पर बैठ गए। मेजर बोले  "आज कैप्टन अभिमन्यु सिंह शेखावत लेट कैसे हो गए, जो इंसान हमेशा समय से पहले पहुंच जाता है वो देरी से पहुँचा। कहा थे कैप्टन",
अभिमन्यु बोला "सर मै वो, वो" 

तभी जय बीच मे बोल पड़ा "बोलो भी कैप्टन सर कब से पूछ रहे है कि देर कैसे हुई"। फिर गर्दन निचे करके धीरे से हँसने लगा।
अभिमन्यु ने पहले जय को देखा जो हँस रहा था फिर धीरे से उसे बोला "क्यों उँगली कर रहा है याद रखना छोडूंगा नही में तुझे"। फिर मेजर सर की तरफ देखते हुए बोला "सर देरी के लिए माफी चाहता हु मैं सोफ़िया से मिलने गया था"


मेजर बोले "माफी मांगने की जरुरत नही है कैप्टन रिलेक्स हो जाओ। अच्छा किया आप उससे मिल कर आ गए।कैसी है वो सब ठीक तो है ना"

अभिमन्यु बोला "सब ठीक है सर"

 मेजर साहब मुस्कुराते हुए बोले  "मैं तो मजाक कर रहा था, तुम तो सीरियस हो जाते हो यार, थोड़ा खुश रहा करो ऐसे हमेशा सिरियस कौन रहता है भाई"। 

जय फिर से बोला "सर कैप्टन अभिमन्यु सिंह शेखावत" बोलकर मेजर ओर जय दोनो हाई फाइव करके हँसने लगे। 

एक आर्मी ऑफिसर हमेशा मुस्कुराना जानता है क्योंकि वो छोटी से छोटी बातो में भी खुशी ढूढ़ ही लेता है।

खाना खाने के बाद जय ने सबको इकट्ठा किया और बोला "जब अब सभी का खाना हो गया है तो चलते है अगले स्टेप की ओर"

थोड़ी देर बाद सभी बोनफायर के सामने बैठे थे उनके हाथ मे ड्रिंक के ग्लास थे। अभिमन्यु मेजर के पास बैठा हुआ था ओर मेजर के हाथ मे सिगार थी  जो वो पी रहे थे। कुछ देर बाद एक जवान आया और अभिमन्यु को चाय का एक कप देकर चला गया। यह देख मेजर बोले आज के दिन तो चाय को छोड़ दीजिए कैप्टन। अभिमन्यु हँसते हुए बोला.....

"न सिगरेट पीता हु ओर ना पीता हु शराब
मैं इस नये ज़माने का वो पुराना सा लड़का, 
जो आज भी चाय पर मरता है..."

वा... कैप्टन आप  आज तो आप चाह गए।


कुछ देर बाद जय ने बोलना शुरू किया । वो बोला "तो अब शुरू करते है कुछ खास कुछ मजेदार । तो आप लोग देख रहे है मेरे पास यह जो काच का बॉक्स है इसमें अभी के नाम है । इस मे से एक बार मे एक चिट्ठी निकालेंगे जिसका भी नाम आएगा उसको ट्रुथ या डेर मेvसे एक सेलेक्ट करना होगा"

जय ने पहली चिट्टी निकाली जिसमे सुनील का नाम आया। जय बोला "बोलिए सुनील बाबू क्या लोगे ट्रुथ या डेर। सुनील बोला ट्रुथ। 

जय बोला "तो फिर बताओ कि ऐसी कौनसी बात है जो आप नही चाहते कि आपके माता पिता को पता चले"

सुनील बोला की "मेरी जो पत्नी है वो ही मेरी गर्लफ्रैंड थी कॉलेज में । यह बात दोनो के परिवार वाले नही जानते क्योंकि मेरे पापा थोड़े गुस्से वाले थे अगर उन्हें पता चल जाता कि मैं कॉलेज में यह सब करता हु तो हालत खराब कर देते मेरी। इसलिए हम दोनों ने डिसाइड किया था दोनो मे से घर पर कोई नही बतायगा ! हमने एक पंडित जी की मदद ली और उन्हें सब बता दिया तो वो फिर हमारी मददत की लिए मान गए। फिर उन्होंने ही हमारी शादी करवाई। ओर अब हम सभी बहुत खुशी से रहते है"

मेजर सर बोले "क्या प्लान बनाया। तुम्हें तो इंडियन tv सीरियल में होना चाहिए"। मेजर की इस बात पर , सुनील के साथ सभी जोर से हँस दिए।

जय ने अगली चिट्टी निकाली जिसमें मेजर सर का नाम था। वो बोला "हम आपको कोई ऑप्शन नही देगे"। 

मेजर बोले "क्यू भाई मेने ऐसा क्या गुनाह किया है, जो मुझे कोई ऑप्शन नही मिल रहे है"।

 जय बोला "सर हम लोग चाहते है कि आप गाना सुना दिजिए वैसे भी काफी दिन हो गए है ,आपका गाना सुने हुए"। 

मेजर बोले "नही आज नही फिर कभी सुना देगे"। इतनी देर में अभिमन्यु पहली बार बोला "सुना दीजिए सर" ।जय ने जल्दी से आकर मेजर की तरफ माइक बढ़या। मेजर ने माइक लिया और गाने लगे....


" बरसात के मौसम में
तन्हाई के आलम में
बरसात के मौसम में
तन्हाई के आलम में
मैं घर से निकल आया
बोतल भी उठा लाया
अभी ज़िंदा हूँ तो जी लेने दो
भरी बरसात में पी लेने दो
अभी ज़िंदा हूँ तो जी लेने दो
भरी बरसात में पी लेने दो

बरसात के मौसम में
तन्हाई के आलम में
बरसात के मौसम में
तन्हाई के आलम में
मैं घर से निकल आया
बोतल भी उठा लाया
अभी ज़िंदा हूँ तो जी लेने दो
भरी बरसात में पी लेने दो
अभी ज़िंदा हूँ तो जी लेने दो
भरी बरसात में पी लेने दो

मुझे टुकड़ों में नहीं जीना है
क़तरा क़तरा तो नहीं पीना है
मुझे टुकड़ों में नहीं जीना है
क़तरा क़तरा तो नहीं पीना है
हो आज पैमाने हटा दो यारों
हाँ सारा मैकाना पिला दो यारों 
मैकडोँ में तो पीया करता हूँ
मैकडोँ में तो पीया करता हूँ
चलती राहों में तो पी लेने दो
अभी ज़िंदा हूँ तो जी लेने दो
भरी बरसात में पी लेने दो...... "


मेजर जैसे ही गाना गाकर रुके तो उन्होंने देखा सभी अपनी आँखें बंद कर उनका गाना सुन रहे थे । वो बोले "कैसा गया मैने"..।
सभी एक साथ बोले "शानदार, सुपर , लाजवाब"।बीच मेसे जय बोला "क्या गाया सर आपने तो दिल खुश कर दिया आपने तो  आज की रात को हसीन कर दिया"
जय की नॉटकी पर एक बार फिर से सारे जवान जोर से हँस दिए। 


अगली चिट्टी निकली जिसमे जय का नाम था। एक जवान बोला जिसका नाम संजय था "सर आप मेजर सर की मिमिक्री करके दिखाईये"। जय बोला नही सर गुस्सा करेंगे। मेजर बोले "नहीं कैप्टन आप करिये" । हम भी तो देखे ही हम बोलते है । जय बोला ठीक है सर फिर कर लेते है ।

कमशः

।। जयसियाराम ।।
vishalramawat"सुकून"(जाना)
वानी

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6 Comments

Sandesh kumar 'Sarthak'

01-Mar-2023 10:27 AM

क्रमशः करें जी

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Sandesh kumar 'Sarthak'

01-Mar-2023 10:21 AM

गीत में मैंकडों के स्थान पर मैकदों या मयकदों होगा,, correct it जी

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Radhika

28-Feb-2023 08:15 AM

Nice

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