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तिरंगा

तिरंगा
नवभारत-संकल्प तो केवल इतना है,
सबका झंडा एक तिरंगा अपना है।
हुआ अभिन्न अंग कश्मीर पुनः भारत का-
अगस्त पाँच उन्नीस को,पूर्ण हुआ वो सपना है।।
                                 सबका झंडा एक...........।।
सबका है कश्मीर और कश्मीर के सब हैं,
हिंदू-मुस्लिम-सिक्ख-इसाई, कश्मीरी अब हैं।
कर न सकेगी उन्हें अलग,अब कानूनी धारा-
नव निर्मित इतिहास का बस यह कहना है।।
                           सबका झंडा एक...............।।
पलट गया इतिहास सियासतदानों का,
बिगड़ गया जो खेल था सत्तर सालों का।
मिला पटल आज़ादी का उस माटी को-
स्वर्ग सरीखी अनुपम जिसकी रचना है।।
                       सबका झंडा एक..................।।
हुआ अंत अब हिंसावाद हिमायत का,
अलगाववाद की बेढब नीति रवायत का।
धरे रह गये ताख पे सब मंसूबे उनके-
जिनका लक्ष्य तो केवल ठगना है।।
                    सबका झंडा एक.....................।।
हुईं दुकानें बंद सभी धर्मान्धों की,
कट्टरपंथी ताकत कुत्सित धंधों की।
नयी दिशा अब मिलेगी सब नवयुवकों को-
करेंगे निज उत्थान स्वयं जो करना है।।
                 सबका झंडा एक..................।।
देश सुरक्षित रहेगा,संग कश्मीर भी,
बिगड़ेगी नापाक पाक तक़दीर भी।
होगा शीघ्र विनाश विरोधी ताक़त का-
नहीं बेढंगा दाँव कुटिल अब सहना है।।
                सबका झंडा एक...................।।
होगा पूर्ण विकास स्वर्ग सी घाटी का,
होगा अब आग़ाज़ नयी परिपाटी का।
पुनः खिलेगा पुष्प सुगंधित मानवता का-
भारत का जो रहा सदा से गहना है।।
      सबका झंडा एक तिरंगा अपना है।।
            ©डॉ. हरि नाथ मिश्र
             9919446372

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8 Comments

Gunjan Kamal

08-Feb-2023 09:27 PM

बहुत खूब

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