Gunjan Kamal

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ऑंख का अंधा नाम नयन सुख

"उसका नाम तो राम है लेकिन हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम! जिन्होंने अपने पिता के दिए वचनों को निभाने के लिए अपने जीवन में १४ वर्ष के कठिन वनवास तक को झेल लिया था, उनके उन्हीं नाम को यह लड़का दाग लगा रहा है। माता-पिता ने बहुत स्नेह से उसका नाम राम रखा होगा और सोचा यही होगा कि भगवान श्रीराम का नाम देने से उनके बच्चों में भी उनके जैसे ही गुण आ जाए लेकिन उसे देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता कि वह  अपने नाम के अनुरूप है। मुझे तो लगता है उसके लिए यह कहावत “ ऑंख का अंधा नाम नयन सुख ” ही  बना है।" चाय की टपरी पर  बैठे रवि ने गुस्से में अपने दोस्त किशन से कहा।


"तुम किसकी बात कर रहे हो रवि? क्या मैं उस राम को जानता हूॅं जिसकी बात तुम  अभी कर रहे हो?" किशन ने रवि की तरफ देखते हुए उससे पूछा।


"वह मेरी शांता बुआ है ना, उसी का बेटा है राम। कहने को तो वह मेरा भाई है लेकिन उसने जो हरकतें की है उसे देखकर  मुझे उसे भाई कहने में भी शर्म आ रही है।" पनीली ऑंखों से रवि ने अपने दोस्त किशन की तरफ देखते हुए कहा।


"तुम रो क्यों रहे हो? उस राम ने ऐसा क्या कर दिया है जिसका असर तुम पर भी दिख रहा है? मुझे पूरी बात बताओ यार।" किशन‌ ने रूंधे गले से कहा।


"एक लड़की के प्यार के पागलपन में वह अपने माता-पिता तक को इतना भूल गया है कि उनकी उम्र तक का लिहाज उसे नहीं है। मेरी बुआ और फूफा ने उसकी हर बात मानी है, जिस लड़की को  वह चाहता था उससे उसकी शादी भी उन्होंने अपनी मर्जी नहीं होने के बावजूद भी करा दी  लेकिन अब वह लड़की कहती है कि उसे अपने सास-ससुर के साथ नहीं रहना है क्योंकि वें दोनों  उस पर जुल्म करते हैं। मैं अपनी बुआ को जानता हूॅं, आज तक  ऊंची आवाज में उन्होंने बात तक किसी से नहीं की, ऐसे में अपनी ही बहू पर वह क्या जुल्म करेंगी?


उस राम की पत्नी झूठ बोल रही है और अपने पति को बहका रही है और उस बहकावे में वह राम आ रहा है। इकलौता बेटा होने के बावजूद भी अपने माता - पिता को उसने अपने हाल पर छोड़ दिया है और  घर छोड़कर चला गया है। वह तो  उन्हें पूछता भी नहीं है, उनसे मिलने भी नहीं आता है। तीन महीने हो चुके हैं उसे अपने माता-पिता का घर छोड़े हुए  लेकिन आज तक उसने अपने माता-पिता की एक खबर तक नहीं ली। कल रात बुआ की तबीयत बहुत ही खराब हो गई थी पूरी रात मैं फूफाजी के साथ अस्पताल में वहीं पर था। मैंने राम को फोन भी किया था और उसे बुआ जी की तबीयत के बारे में बताया भी था लेकिन उसने यह कहकर फोन काट दिया कि अब उन लोगों से उसका कोई वास्ता नही, वे दोनों उसके लिए उसी दिन मर गए थे जिस दिन उसने उनके कारण उस घर को छोड़ा था।" अंतिम शब्द बोलने के साथ ही रवि फफक - फफक कर रोने लगा।


" इस संसार में नाम की महिमा तो है और  हम किसी भी  व्यक्ति को नाम से ही जानते एवं पहचानते हैं। किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के गुण पर यदि नाम रखा जाता है  तो हम में से अधिकांश लोगों को यही लगता है कि वह इंसान भी नाम रखे हुए प्रसिद्ध व्यक्ति की तरह कुछ तो बनेगा, उसमें उस प्रसिद्ध व्यक्ति के कुछ तो गुण आएंगे लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है कि किसी व्यक्ति का नाम उसके व्यक्तित्व से मेल नहीं खाता है। ऐसा व्यक्ति जिसके नाम के अनुरूप उसका व्यक्तित्व मेल  ना खाता हो वैसे व्यक्ति पर ही "ऑंख का अंधा नाम नयन सुख " वाली कहावत चरितार्थ होती चली आ रही है। तुम हिम्मत मत हारो, तुम्हारी बुआ जल्दी ठीक हो जाएंगी। मेरा दिल कहता है कि  ईश्वर ने चाहा तो एक दिन राम को अपनी गलती का एहसास  होगा और वह तुम्हारे बुआ और फूफा जी की जिंदगी में वापस लौट कर भी आएगा और अपने नाम के अनुरूप अपना व्यक्तित्व भी बनाएगा।" किशन ने रवि की पीठ पर हाथ रखते हुए कहा।


दोस्तों! हम सबके जीवन में यदि कोई ऐसा दोस्त हो जो हमारे दुख के दिनों में तसल्ली भरे शब्दों से हमें समझाएं तो हिम्मत हारती ऑंखों में भी उम्मीद के दीप जगमगाने लगते हैं, उस वक्त अपने दोस्त किशन की बातें सुनकर रवि के साथ भी ऐसा ही हो रहा था।


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                                             धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻


गुॅंजन कमल 💗💞💗


# मुहावरों की दुनिया प्रतियोगिता 


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2 Comments

अदिति झा

07-Feb-2023 11:48 PM

Nice 👌

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