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शिव-महिमा

शिव-महिमा(16/14)
इस सावन में शिव-महिमा से,
मन-मंदिर उजियार रहे।
कटे कष्ट जन-जन का जग में,
कहीं नहीं अँधियार रहे।।

मेघ बरसते हैं सावन में,
शिव के आशीर्वाद से।
हरी-भरी धरती हो जाती,
शंकर के ही प्रसाद से।
रोग-मुक्त संसार सकल हो,
सजा सदा दरबार रहे।
     कहीं नहीं अँधियार रहे।


जाते हैं मस्ती में गाते,
करने को अभिषेक सभी।
नगर-गाँव शिव-मंदिर में जा,
करें काम यह नेक सभी।
बम-बम की मीठी बोली से,
गुंजित हर घर-द्वार रहे।।
      कहीं नहीं अँधियार रहे।।

शिव-प्रसाद हर जन को मिलता,
जिसने उन्हें पुकारा है।
कर देते हैं नष्ट उसे भी,
जिसने उन्हें नकारा है।
दुनिया को भोले बाबा का,
मिलता सदा दुलार रहे।।
    कहीं नहीं अँधियार रहे।।

सावन की बूँदें अमृत हैं,
इनमें शिव का वास रहे।
झम-झम गिरतीं जल-बूँदों में,
भोले का आभास रहे।
घटे कभी न आस्था अपनी,
बना सदा शिव-प्यार रहे।।
      कहीं नहीं अँधियार रहे।।
               ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                   9919446372

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2 Comments

Gunjan Kamal

09-Feb-2023 07:39 PM

बहुत खूब

Reply

बहुत खूब

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