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लेखनी प्रतियोगिता -11-Feb-2023 मेरा प्यारा टेड़ी



शीर्षक = मेरा प्यारा टेड़ी



यात्री गण कृपया ध्यान दीजिये दिल्ली से चल कर जम्मू तक जाने वाली ट्रैन, अपने निर्धारित समय पर प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर आ रही है टिंग,, डिंग,, टिंग,, डिंग,,,,,,


प्लेटफॉर्म पर खडे  पटरी पर आ रही ट्रैन को देख मानो अम्बर के दिल की धड़कन तेज हो रही थी, अपनी और आती ट्रैन को देख उसे कुछ हो रहा था
पलक झपकते ही, ट्रैन उसके सामने आकर ख़डी हो गयी,

ट्रैन के रुकते ही उसमे यात्री चढ़ने लगे


"ओह! मेरे प्यारे दोस्त, चलना नही है क्या? किसका इंतज़ार है, जब ट्रैन चली जाएगी तब चढ़ेगा क्या " एक आवाज़ के साथ अपने कांधे पर हुए स्पर्श को महसूस करते हुए अम्बर पीछे मुड़ा और बोला


" यार! नुकूल अभी थोड़ा रुकते है, अभी तो ट्रैन रुकेगी "

ये कह कर अम्बर किसी को देखने लगा, उसके हाव भाव से लग रहा था मानो वो किसी के आने का इंतज़ार कर रहा था

"हाँ, भाई किसे ढूंढ रहा है," नुकूल ने कहा


"यार, नुकूल समझ नहीं आ रहा तुझे कैसे बताऊ, पता नहीं तू केसा रियेक्ट करेगा? लेकिन तुझे नहीं बताऊंगा तो फिर किसे बताऊंगा " अम्बर ने कहा


"भाई,, भाई,,, खेर तो है,, तेरे हाव भाव और ये झुकी निगाहेँ मुझे किसी खतरे की घंटी की और इशारा कर रही है, चल अब सीधे चान अपना मूंह खोल और बता क्या बात है? वरना तो तू जानता है, मुझे सच उगलवाना बहुत अच्छे से आता है, और तू बहुत अच्छे से जानता है, कि कैसे मैंने थीट से थीट आतंकवादी की जुबान खुलवाई है " नुकूल और कुछ कहता तब ही अम्बर बोल पड़ा


"बस कर भाई, मैं कोई आतंकवादी नहीं हूँ, मैं तो खुद अपना जुर्म कूबूलने की कोशिश कर रहा हूँ, और तू है की मुझे और डरा रहा है "


"आर्मी ऑफिसर होते हुए इस तरह डर रहा है, जरूर बात कोई एहम है, लगता है दिल का मामला है " नुकूल ने कहा उसे कन्धा मारते हुए

दिल का मामले वाली बात सुन, मानो अम्बर का चेहरा प्रफुल्लित हो उठा और अपनी गर्दन हाँ में हिला दी


"सच,, तू सच कह रहा है,,, लेकिन ये सब कब हुआ,, कौन है कब मिला तू उससे,,, तो तो बहुत ही छिपा रुस्तम निकला? " नुकूल ने एक बार में सारे प्रश्न पूछ डाले


"रुक जा भाई, थोड़ा सास ले ले, तू तो पटरी पर दौड़ रही ट्रैन की तरह बिना रुके भागे जा रहा है, रुक तुझे सब बताता हूँ " अम्बर ने कहा


"बता,, बता,, अब मुझे सब्र नहीं होगा, मैं जानना चाहूंगा की आखिर कौन है वो खुशनसीब जिस पर मेरे इस अकड़ू दोस्त का दिल आ गया है, जो हमसे तो मीठे बोल नहीं बोलता है, भला उससे क्या बोला होगा?" नुकूल ने कहा


"अच्छा, मैं अकड़ू हूँ " अम्बर ने कहा

"नही आप तो बहुत ही कोमल हृदय रखते है, हम आपको जानते कब है " नुकूल ने टांग खींचते हुए कहा

"चल छोड़ ये सब, मुझे तफसील से बता, कि ये सब कब हुआ," नुकूल ने कहा


"मुझे खुद नहीं पता कि ये सब कब और कैसे हो गया? क्यूंकि जैसा तूने कहा कि मेरा हृदय कोमल नही है, बल्कि जिंदगी में अपनों के ही हाथो खिलौना बन जाने के कारण ये दिल,दिल नही बल्कि पत्थर सा बन गया था, लेकिन न जाने उस दिन उस लड़की से मिलने  के बाद इस पत्थर दिल में कुछ हुआ था, पर क्या नही मालूम " अम्बर अपनी बात को आगे बढ़ाता तब ही नुकूल बोल पड़ा

"कौन थी वो खुशनसीब, जिसने मेरे दोस्त के दिल में प्रेम का एहसासा जगाया, क्या तेरी मुलाकत उससे फिर हुयी थी, और वो तुझे कहा मिली थी, मुझे बता अगर वो तुझे नही मिली तो चल वापस चलते है, उसे ढूंढते है, तेरे लिए सब कुछ कुर्बान, मेजर  निर्धारित समय नही आने पर डाटेंगे ही तो या थोड़ी बहुत पनिशमेंट देंगे , जान से तो नही मारेंगे, तेरे लिए सब सेह लूँगा, चल चलते है " नुकूल ने अम्बर का हाथ खींचते हुए कहा


अपने लिए एक गैर में इतना प्रेम देख कर अम्बर कि आँखे नम हो गयी, और उसने उसका हाथ अपनी तरफ खींचा और गले से लगाते हुए बोला " मुझे बहुत ख़ुशी हुयी, कि ईश्वर ने मुझे तेरे जैसा दोस्त दिया जो मेरी ख़ुशी के खातिर कुछ भी करने को तैयार है,लेकिन तू परेशान न हो,उस लड़की से वो मेरी पहली और आखिरी मुलाक़ात नही थी, मैं उससे एक दो बार मिल चुका हूँ, और आज वो मुझसे मिलने आने वाली थी, उसने वायदा तो नही किया था लेकिन मुझे उम्मीद है की वो आएगी "


"भाई मुझे सुन कर ख़ुशी हुयी की तेरी जिंदगी में भी कोई आया, तेरा यहाँ आना सफल हुआ, देखना वो ज़रूर आएगी, लेकिन मुझे थोड़ा तफसील से बता, कौन है, कब मुलाक़ात हुयी तेरी उससे, कहा रहती है, नाम क्या है " नुकूल ने कहा


"धरा, धरा नाम है उसका " अम्बर ने कहा


"धरा,,, ये नाम तो मुझे सुना सुना लग रहा है, कही तू उस हल्दी में आयी लड़की धरा की तो बात नही कर रहा है " नुकूल ने कहा


"हाँ, मैं उसी की बात कर रहा हूँ, वो जो तेरी बहन की हल्दी में आयी थी, बस उसी समय मैंने उसे देखा था और न जाने मुझे क्या हो गया था, वो भी मुझे चोरी छिपकर देख रही थी


फिर वो मुझे डांटने भी आयी थी, कि मैं उसे घूर रहा हूँ, जो की सही बात थी, क्यूंकि मेरी नज़रे उस पर से हट ही नही रही थी, मैं क्या करता? मैं मजबूर था " अम्बर कुछ और कहता तब ही नुकूल बोल पड़ा


"यार अम्बर, तुझे शायद उसके बैकग्राउंड के बारे में नही मालूम, वो लड़की,,,"


"क्या वो लड़की, अनाथ है और अनाथ आश्रम में रहती है, यही है न उसका बैकग्राउंड " अम्बर ने कहा

"तुझे पता है " नुकूल ने पूछा

"हाँ, मुझे पता है, तो इससे क्या फर्क पड़ता है, कि वो अनाथ आश्रम में रहती है, मैं खुद गया था उसको ढूंढते हुए तब मुझे पता चला था कि वो अनाथ आश्रम में पली बड़ी है, और वही रहती है, और लड़कियों के हाथो पर मेहंदी लगा कर अपना खर्चा निकालती है " अंबर ने कहा


"यार मुझे कोई दिक्क़त नही है, लेकिन तेरे घर वाले, तेरी माँ तेरे पापा,,, भले ही वो एक साथ नही रहते है,, लेकिन तुझे इस तरह एक अनाथ को तो अपनी बहु नही बनाने देंगे " नुकूल ने कहा


"माता,, पिता,, हा,, हा,, हा " अम्बर ने माता पिता कह कर एक हसीं अपने चहरे पर सजायी

"क्या हुआ मेरे भाई, इस तरह क्यूँ हस रहा है, माता पिता का नाम सुन कर " नुकूल ने कहा

नही मैं हस नही रहा हूँ, बस तेरी बात पर थोड़ा हसने को मन किया, वो लोग मुझे मना करेंगे,वो भी माता पिता बन कर, जब उन्हें मेरे माता पिता बन कर मेरी परवरिश करना चाहिए थी, तब तो उन्होंने मुझे यूं ही छोड़ दिया था बे आसरा, अपनी मर्ज़ी से तलाक ले कर, एक बार भी नही सोचा की उनके इस फैसले का मुझ पर क्या असर होगा, कैसे रह पाउँगा, उन दोनों के बिना, माता पिता होते हुए भी मुझे कभी दोनों का प्यार नही मिला, वो मुझे आज माता पिता बन कर मुझे अपने ही जैसी को मेरी जिंदगी में लाने से रोकेंगे


ये हक़ वो खो चुके है, नफरत करता हूँ मैं उन दोनों से, उनके होने न होने से मुझे कोई फर्क नही पड़ता

अब बस देखना ये है की धरा मेरे इस पत्थर दिल को अपना प्यार देकर मोम बना पायेगी या नही, या फिर ये पत्थर दिल यूं ही पत्थर दिल बन कर इस दुनिया से चला जाएगा, अगर मेजर का फ़ोन नही आता और जंग सर पर न खड़ी होती तो मैं यहां से उसे लिए बिना नही जाता, उसके मन में अपने लिए प्यार जगा ही देता


अम्बर कुछ और कहता ट्रैन ने सिटी बजा दी थी,

"भाई लगता है, वो नही आएगी,, चल ट्रैन निकल जाएगी,, सरद्द हमारा इंतज़ार कर रही है " नुकूल ने कहा


"वो आएगी, भले ही वो इंकार कर रही थी लेकिन वो आएगी, मेरा मन कह रहा है वो आएगी " अंबर ने कहा


नुकूल अपना और उसका समान लेकर ट्रैन में चढ़ गया था, ट्रैन ने आखिरी सी टी दे दी थी, और चलने भी लगी थी


एक पल को तो अम्बर को भी लगा की शायद धरा नही आएगी, लेकिन उसके मन में उम्मीद की किरण जब जागी जब उसने सामने से आती हुयी धरा को देखा, वो भागती हुयी उसके पास आयी


लेकिन जब तक ट्रैन ने रफ़्तार पकड़ ली थी, सामने से धरा को आते देख, दूसरी तरफ अपने दोस्त के चहरे पर ख़ुशी देख नुकूल ने चेन खींच दी, और ट्रैन रुक गयी


थोड़ी देर बाद अम्बर और धरा आमने सामने खड़े थे, धरा जिसकी सांसे फूल सी रही थी और वो उन्ही फूलती साँसो से बोली " साहब, मैं आ गयी,, मैंने खुद को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन ये दिल नही माना और मैं आ गयी आपको विदा करने, आपने कहा था न की तुम जरूर आओगी, मुझे भरोसा है, आपका भरोसा और प्यार दोनों जीत गया मैं आ गयी "


"मुझे यकीन था की तुम आओगी, तुम मुझसे प्यार करती हो न, मेरा वापस आने का इंतज़ार करोगी न " अंबर ने कहा

"हाँ, करती हूँ, और इस प्यार के भरोसे मैं सात जन्मों तक भी आपका इंतज़ार करने को तैयार हूँ, " धरा ने कहा


ये सुनते ही, अम्बर ने उसे गले से लगा लिया, उसकी आँखे नम थी उससे जुदा होने के गम में, और वो रोंधे गले से बोला " मेरे पास इस समय कुछ भी नही है, जो मैं तुम्हे दे सकूँ, ताकि जब तुम्हे मेरी याद आये तो तुम उस चीज को देख मुझे याद कर सको, लेकिन तुम खत लिखना और मैं जवाब दूंगा "

मुझे आपकी याद आने के लिए, आपकी किसी चीज का होना जरूरी नही, क्यूंकि जो पल मैंने आपके साथ गुज़ारे है, उन्हें ही मैं याद करके इंतज़ार की घड़ी पार कर लूंगी,लेकिन कही मेरी याद आपको बागी न बना दे और आप सब कुछ छोड़ कर मेरे पास न आ जाए इसलिए ये मेरा प्यारा टेड़ी है, जो की मेरा सबसे प्यारा दोस्त है, जिसे आज तक मैंने अपने से अलग नही किया

क्यूंकि जब कोई मुझे पालने में छोड़ कर गया था, तब ये मेरे पास ही था ऐसा मुझे पालने वाली ने बताया था, शायद इसमें मेरी माँ या फिर पिता या फिर दोनों की यादें है, नही मालूम की उन्होंने मुझे मजबूरी के चलते या फिर बोझ के चलते पालने में रखा था, लेकिन ये मेरा टेड़ी बियर हर दम मेरे पास रहता जिसके चलते मुझे कभी अनाथ महसूस नही हुआ


लेकिन आज मैं ये टेड़ी आपको दे रही हूँ,ताकि ये आपको हिम्मत दे, आपको कभी अकेला न लगे,ऐसा लगे की कोई है जिसके पास आपको सही सलामत जाना है, जाइये अब, आपकी ट्रैन आपका इंतज़ार कर रही है, और हाँ मैं पलट कर नही देखूंगी क्यूंकि आप दोनों से जुदा होना मुझसे देखा नही जाएगा धरा ने कहा उसे गले लगाते हुए


अम्बर ने जल्द से जल्द वापस सही सलामत लौटने का वायदा किया और उसे खुद से दूर जाता देखता रहा, कहे अनुसार धरा ने पीछे मुड़कर नही देखा


समाप्त,,,,,,,,,
प्रतियोगिता हेतु 




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10 Comments

Gunjan Kamal

13-Feb-2023 11:54 AM

शानदार

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Varsha_Upadhyay

12-Feb-2023 02:02 PM

बहुत खूब

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