Komal Khatri

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चाँद

        

           कविता - चाँद

(१) जो आते हो तुम रातो में तो ,
      सारे आशमा में रौशनी सी छा जाती हैं ।

(२) पूर्णिमा की चाँदनी ,
     एक अलग ही आकर्षण जगाती है ।

(३) पंद्रह दिन में थोड़ा - थोड़ा करके ,
     अपना रूप छिपाती है ।

(४) और पंद्रह दिन में धीरे धीरे करके ,
     अपना रूप दिखाती है । 

(५) जब ना हो चॉंद आशमा में ,
     वो दिन अमाव्शया कहलाती है ।

(६) सरदपूर्णिमा को पुरा चाॉंद रातभर ,
     अमृत की ओस बरसातीं हैं ।

      कोमल खत्री , हज़ारीबाग़ (झारखण्ड),                  १२/०२/२०२३ के प्रतियोगिता हेतु


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10 Comments

Varsha_Upadhyay

13-Feb-2023 11:27 PM

शानदार

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Komal Khatri

13-Feb-2023 11:30 PM

धन्यवाद मैम 😊🙏

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Abhinav ji

13-Feb-2023 08:33 AM

Very nice 👍

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Komal Khatri

13-Feb-2023 11:29 PM

Thanks sir 😊

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Gunjan Kamal

12-Feb-2023 11:37 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Komal Khatri

13-Feb-2023 11:31 PM

धन्यवाद मैम 🙏😊

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