Gunjan Kamal

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एक ही थाली के चट्टे - बट्टे

बहुत दिनों से अपने दोस्त रामपाल को चिंतित देखकर भी उससे सीधे- सीधे पूछने की हिम्मत नही करने वाले किशनलाल से  एक दिन रहा नहीं गया। पहले तो उसने  उसके घर जाने की सोची लेकिन कुछ सोच कर रूक गया, वैसे भी उस घटना के बाद पहले जैसे संबंध दोनों दोस्त के बीच नही रह गए थे।


दो दोस्त जिनके बाप- दादा भी दोस्त रह चुके थे और परिवार के हर सुख - दुख में साथ देने की परंपरा भी निभाते आ रहे थे, आज से करीब २० दिन पहले कुछ ऐसा हुआ कि दोनों परिवारों के बीच सब कुछ खत्म हो गया। बात उतनी भी बड़ी नही थी जितनी रामपाल ने उस दिन बना दी थी।


अपने दोस्त को बचपन से जानने - समझने वाला किशनलाल उस दिन अपने दोस्त को समझ नही पाया। बेटे ने शादी के लिए साफ मना कर दिया था क्योंकि उसे अपनी पढ़ाई पूरी कर डाॅक्टरी की प्रैक्टिस भी करनी थी। किशनलाल ने अपने बेटे और रामपाल ने अपने दोस्त के बेटे रतन को हर तरफ से समझाने का प्रयास किया लेकिन रतन की सिर्फ यही रट थी कि उसे अभी शादी ही नही करनी।


रामपाल ने यह बात कहकर भी रतन को मनाने की कोशिश की कि जब उसे शादी करनी होगी तब कर लेना अभी बस सगाई कर ले लेकिन रतन ने उसके लिए भी मना कर दिया। बस यही वजह थी कि दो परिवार जो पीढ़ियों से एक - दूसरे के दोस्त और सुख - दुख के साथी थे वर्तमान में  एक - दूसरे का मुॅंह भी  देखना पसंद नहीं कर रहे थे।


इतने सालों की दोस्ती सिर्फ ये भर कह देने से कि अब हमारे बीच कोई नाता नहीं रहा, टूट नहीं जाता। इसका एहसास रामपाल और किशनलाल को हो तो रहा था लेकिन पहल अभी तक किसी ने नहीं की थी। अपने दोस्त किशनलाल से रामपाल थोड़ा गुस्सा भी था क्योंकि रामपाल को लग रहा था कि किशनलाल अपने बेटे का पक्ष ले रहा है।


किशन लाल यह सोच कर अपने बेटे का साथ दे रहा था कि जबरदस्ती शादी - विवाह के रिश्ते निभाए नहीं जाते।  यदि जबरदस्ती मैं इन दोनों की शादी किसी शर्त पर करा भी देता हूॅं तो इसकी क्या गारंटी है कि दोनों इस रिश्ते को निभाएंगे ही? मेरे बेटे और रामपाल की बेटी के शादी के बंधन में बंध जाने से हमारे दो परिवार मिल जाएंगे लेकिन क्या उन दोनों के दिल मिलेंगे?


बहुत सारे सवाल किशनलाल सोच रहा था, जिसके जवाब उसे नही में ही मिल रहे थे। दो जिंदगियों को किशनलाल बर्बाद नहीं करना चाहता था इसीलिए उसने उस वक्त अपने बेटे का साथ दिया ना कि अपने दोस्त रामपाल  का।


किशनलाल ने रामपाल की ऑंखों में गुस्से के साथ-साथ कुछ तो देखा था जो वह समझ नहीं पा रहा था इसी को जानने की उसकी इच्छा दिन - प्रतिदिन प्रबल होती जा रही थी। एक दिन किशनलाल वहां पर जा पहुंचा जहां पर रामपाल अपने खेत में बैठा धान की कुराई कर रहा था।


शुरुआत में तो रामपाल ने बात करने से मना कर दिया लेकिन किशनलाल के बार-बार आग्रह करने पर वह टूट गया और उसने अपनी बेटी की शादी जल्दी करने की बात उससे कही, उसने यह भी बताया कि किशनलाल के बेटे को वह बचपन से जानता था इसीलिए चाहता था कि उसकी बेटी किशनलाल के घर की बहू बन जाए ताकि उसकी जिंदगी में जो तूफान ने दस्तक दी थी उसका रुख दूसरी तरफ मुड़ जाए, इसके लिए रामपाल ने अपनी तरफ से उस लड़के को  समझाने की कोशिश भी की थी जो उसकी बेटी को कॉलेज आते - जाते छेड़ रहा था।


कॉलेज छुड़वा देने से बेटी की जिंदगी बर्बाद हो जाती इसीलिए रामपाल ने उसके बड़े भाई से भी उसकी शिकायत की, उसके बड़े भाई ने रामपाल से वादा किया कि उसका छोटा भाई अब उनकी बेटी के साथ ऐसी हरकत नहीं करेगा। बहुत दिनों बाद रामपाल की बेटी कॉलेज गई लेकिन जो पहले हो रहा था वह उस दिन भी हुआ क्योंकि छेड़ने वाला लड़का और उसका बड़ा भाई दोनों ही एक ही थाली के चट्टे - बट्टे थे, दोनों ही आवारा की तरह दिन भर घूमते थे और लड़कियों को छेड़ते रहते थे।


एक दिन  जब रामपाल की बेटी रोते हुए घर आई तो घर वालों ने उसके बाद उसका घर से निकलना ही बंद करवा दिया और सभी ने मिलकर यह निर्णय लिया कि इसकी शादी जल्द से जल्द करा दी जाए, अब इतनी जल्दी शादी कैसे हो सकती थी?  लड़का ढूंढना सबसे मुश्किल काम था तभी रामपाल  के दिमाग में ये बात आई कि किशन लाल का बेटा भी तो उसकी बेटी से सिर्फ एक साल बड़ा है, यदि यह दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाए तो इससे अच्छी बात कोई दूसरी  नही हो सकती है लेकिन रामपाल का सोचा हुआ नहीं हुआ जिसके कारण वह किशनलाल से अभी तक गुस्सा था।


किशनलाल ने जब रामपाल की बेटी को छेड़ने वाले लड़कों का नाम सुना तब उसे याद आया कि ये दोनों तो दूसरे गाॅंव के बाहुबली रणधीर चौधरी के दोनों बेटे हैं।


किशनलाल ने रामपाल को उन दोनों लड़के के बाप के बारे में भी बताया और ये भी कहा कि उसके दोनो बेटे  अपने बाप पर ही गए हैं यह बताने के साथ-साथ उसने यह भी कहा  कि अपने दोनों बेटों के समान ही उसके बाप का स्वभाव भी  है अर्थात उन तीनों पर एक ही थाली के चट्टे - बट्टे वाली कहावत चरितार्थ होती है। 


किशनलाल और रामपाल दोनों बहुत देर तक उस तूफान को हमेशा के लिए खत्म करने के बारे में बातें कर रहे थे और उसके बाद वें दोनों इस निर्णय पर पहुंच गए कि उन्हें इसकी शिकायत पुलिस में करनी चाहिए और उसके बाद जो कुछ भी होगा उसका सामना दोनों परिवार मिलकर कर लेंगे।


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                                                        धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

गुॅंजन कमल 💗💞💓



# मुहावरों की दुनिया प्रतियोगिता 


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8 Comments

Varsha_Upadhyay

14-Feb-2023 06:45 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Alka jain

14-Feb-2023 12:31 PM

बेहतरीन

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