अहा बनारस लेखनी कविता -13-Feb-2023
अहा बनारस
जब आँख खुले तो हो सुबह बनारस
जहाँ नजर पड़े वो हो जगह बनारस
रंग जाता हूँ खुशी खुशी इसके रंग में मैं
झूम कर दिल कहता मेरा अहा बनारस
सबके सपने देता है सजा बनारस
दिल को भी कर देता है जवाँ बनारस
इसकी गलियों से जब होकर गुजरूँ मैं
पुलकित मन फिर कहता अहा बनारस
माँ अन्नपूर्णा की महिमा करता बयां बनारस
जहाँ रग-रग बसे काशी विश्वनाथ वहाँ बनारस
भक्ति रस से जब हो जाऊँ सराबोर मैं
जुबां पर बस एक ही बात अहा बनारस
गंगा की मौज की खूबसूरत वजह बनारस
घाट पर डुबकियों का असली मजा बनारस
पैदा हो जाता जब लहरों पर तैरने का जुनून
तो फिर हर उमंग कह पड़ती अहा बनारस
अपनी खुशबू से तन-मन देता महका बनारस
दुनिया में मेरे लिए मेरा सारा जहाँ बनारस
बनारसी पान का बीड़ा जब लेता हूँ चबा
खुशमिजाजी में निकल पड़ता अहा बनारस
बनारसी साड़ियों का रखे दबदबा बनारस
कला एवं संस्कृति की अनूठी अदा बनारस
सभ्यता से भी प्राचीन ये मोक्षदायिनी नगरी
जहाँ आत्मा भी तृप्त हो कहती अहा बनारस
मीठी बोली के रस में घुला मिला बनारस
यूँ ही नहीं कहते इसे सभी राजा बनारस
जो भी आता यहाँ हो जाता बस इसी का
फिर जपता रहता वो सिर्फ अहा बनारस
गाथा गाऊँ इसकी बतौर गवाह बनारस
रहूँ सदा होकर मैं दिल से हमनवा बनारस
बरसता रहे आशीष मुझ पर भोलेनाथ का
प्रीति वंदन से दिल बस बोले अहा बनारस
- आशीष कुमार
माध्यमिक शिक्षक
मोहनिया, कैमूर, बिहार
Sachin dev
14-Feb-2023 06:29 PM
Very nice
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Ashish Kumar
15-Feb-2023 06:04 PM
थैंक यू सो मच
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Gunjan Kamal
13-Feb-2023 10:32 PM
बेहतरीन अभिव्यक्ति 👏👌🙏🏻
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Ashish Kumar
15-Feb-2023 06:04 PM
जी बहुत-बहुत धन्यवाद
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