लेखनी प्रतियोगिता -13-Feb-2023 तेरा वादा
शीर्षक = तेरा वायदा
2 बजते ही, जैसे स्कूल की छुट्टी की घंटी बजी उसके साथ ही संध्या ने अपना पर्स उठाया और उसमे अपना मोबाइल और जरूरत का समान रखने लगी
"क्या बात है, मिस संध्या आज आप बड़ी जल्दी में लग रही है, बच्चों के साथ साथ ही निकलने का इरादा है क्या?" उन्हें इस तरह देख उसकी सहकर्मी मालती ने पूछा
"हाँ, मालती मेम, किसी से मिलना है,2 बजे का समय दिया था, बस इसलिए आज जल्दी जा रही हूँ " संध्या ने कहा
"अरे, अरे,, जरा हमें भी बताइये की आखिर कौन है? और किससे मिलने जा रही है? " मिस मालती ने संध्या को छेड़ते हुए पूछा
"नही ऐसी वैसी कोई बात नही है, वो मैंने आपको बताया था ना, उस लड़के सूरज के बारे में, जिसने मुझे फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी, और मैंने एक्सेप्ट कर ली थी, और फिर उसके बाद उसने मुझे मैसेज भेजना शुरू कर दिए थे " संध्या कुछ और कहती तब ही मिस मालती बोल पड़ी
"हाँ,, हाँ,, मुझे याद आया,, लेकिन इस बात को तो एक महीने से ज्यादा हो गया, तो फिर "
"जी एक महीने से ज्यादा हो गया, उसे मेरा दिमाग़ खाते हुए, जब भी डाटा ऑन करती हूँ, उसका मैसेज जरूर होता है, पहले तो हाई हेलो, गुड मॉर्निंग के मैसेज ही भेजता था लेकिन अब " संध्या कहते कहते रुक गयी
"अब क्या मिस संध्या? कही वो तुम्हे कुछ अश्लील मैसेज तो नही भेजता है, अगर ऐसा है तो उसका स्क्रीनशॉट लो, और अभी मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलो, इस तरह खामोश रहोगी तो वो तुम्हे और डराता रहेगा, माना फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी और आपने एक्सेप्ट कर ली, इसका मतलब ये थोड़ी की जबरदस्ती के दोस्त बन जाओ " मिस मालती ने कहा
"नही,, नही उस तरह के तो कोई मैसेज नही भेजे है उसने, लेकिन हाँ प्यार मुहब्बत के मैसेज करता है, मुझे लगता है दिमाग़ से पैदल है, इसलिए ही तो दो दिन से मुझे उससे शादी करने का मैसेज भेज रहा है, देखने में तो शरीफ घर का लगता है, तस्वीर में भी अच्छा खासा पढ़ा लिखा लगता है, लेकिन हर कते देखो " संध्या ने कहा
"इतना सोचना किस बात का, उसको ब्लॉक् कर दो, फिर देखना खुद ही मैसेज करना बंद कर देगा " मिस मालती ने कहा
"नही, इस तरह उसे ब्लॉक् करना सही नही रहेगा, मैंने उसे आज यही पास के कैफ़ेटेरिया में मिलने बुलाया है, बैठ कर समझाऊंगी, अगर नही माना तो फिर देखना मैं उसका क्या हाल करती हूँ? " संध्या ने कहा
"अच्छा किया, मैं भी चलती हूँ साथ में, फिर देखना किस तरह नो दो ग्यारह हो कर जाएगा" मिस मालती ने कहा
"नही नही, आपको घर जाना है, आपके बच्चें भी स्कूल से आ गए होंगे, आप जाइये मैं खुद संभाल लूंगी उसे, देखती हूँ कैसे उसके सर से मेरे लिए प्यार का भूत नही उतरता है, ना कोई मुलाकत, ना देखा भाली बस तस्वीर में देख कर प्यार करने लगा मुझसे, मैं बताती हूँ उसे " संध्या ने कहा और फिर वहाँ से चली जाती है
सूरज, जो की बताये गए पते पर, हाथ में गुलाब का फूल थामे उससे मिलने के इंतज़ार में वही बैठा होता है, दूर से उसे आता देख, उसके दिल में कुछ होने लगा था और वो अपने आप से कहता है " यार सूरज ये तो फेसबुक प्रोफाइल से भी ज्यादा सुंदर है "
सूरज उसके ख्यालों में डूबा हुआ होता है, तब ही संध्या उसके सामने आ जाती और कहती है " हाँ जी मिस्टर सूरज तो कैसे है आप "
"म,, म,, मैं ठीक हूँ,, आप को देख लिया तो और ठीक हो गया " सूरज ने कहा
"अच्छा, मुझे लगा कि शायद आपके दिमाग़ का स्क्रू ढीला है, जिसे शायद ठीक करने की ज़रूरत है, कहे तो कर देती हूँ, मेरी इस जूती ने बहुत से आवारा लड़को के स्क्रू टाइट किए है, एक आपका नाम भी जुड़ जाएगा " संध्या ने कहा
"नही,, नही हम इतने ख़ुशक़िस्मत कहा, जो आपके सैंडिल से एक बार पिट कर भाग जाए, हम तो हर रोज़ सैंडिल से पिटना चाहते है, आपको अपनी दुल्हन बना कर अपने घर ले जाना चाहते है, तो कहिए शादी करेंगी हमसे," सूरज ने कहा
"भड़े ही कोई थीट किसम के लड़के हो तुम, मैं क्या कह रही हूँ और तुम क्या बोल रहे हो, देखने में तो तुम शरीफ घर के लगते हो, और हरकतें तुम्हारी लॉफर लड़को की जैसी है, गलती मेरी है, मुझे मिलने नही आना चाहिए था और तो और तुम्हारी रिक्वेस्ट भी एक्सेप्ट नही करनी चाहिए थी और तुम्हे तो ब्लॉक कर देना चाहिए था, जरा सी तुमसे बात क्या कर लीं तुम तो मुझे प्रपोजल ही भेजनें लग गए, तुम जानते क्या हो मेरे बारे में, और मैं तुम्हारे बारे में क्या जानती हूँ " संध्या ने कहा
"आप मुझे गलत समझ रही है,आप मेरे बारे में जाने या ना जाने लेकिन मैं आपके बारे में सब कुछ जानता हूँ, घर पर आपकी एक माँ है, पिता का कुछ साल पहले ही देहांत हो गया है हार्ट अटैक से, आपकी एक छोटी बहन है जो अभी कॉलेज में पढ़ रही है,
सारा घर आपकी नौकरी पर चल रहा है, बिजली का बिल से लेकर माँ की दवा तक सब आपकी तनख्वाह से ही आता है, " सूरज ने कहा
संध्या अपना परिचय उसके मूंह से सुन हेरत में थी, और बोली " कौन हो तुम? तुम्हे मेरे बारे में इतना सब कैसे पता है, तुमने कोई जासूस छोड़ रखे है क्या? "
सूरज एक मुस्कान देते हुए मुस्कुराया
"देखो मुझे सच सच बताओ कौन हो तुम, और मेरे बारे में इतना तुम्हे कैसे पता चला, मैंने तो कभी नही बताया जहाँ तक मुझे याद है, तुम ही मुझे मैसेज भेजते थे, मैंने तो कभी सही ढंग से उनका जवाब नही दिया " संध्या ने गुस्से में कहा
"ओह संध्या! तुम बिलकुल नही बदली वही बचपन की तरह जरा सी बात पर तुम्हारा सारा गुस्सा तुम्हारी नाक पर आ जाता है " सूरज ने कहा
"बचपन,, लेकिन तुमने मेरा बचपन कब और कहा देखा " संध्या ने हैरानी से पूछा
"संध्या! तुम्हे कुछ भी याद नही, तुम सब कुछ कैसे भूल सकती हो, तुम्हे सूरज ना सही अमर तो याद होगा, वही अमर जिससे मिलने तुम रोज़ अपने पापा के साथ अनाथ आश्रम के गार्डन की सफाई करने आती थी, क्यूंकि तुम्हारे पिता एक माली थे " सूरज ने कहा
"अमर,,, अमर को तुम कैसे जानते हो,,, कहा है वो? तुमने कुछ किया तो नही उसके साथ, बताओ मुझे " संध्या ने कहा
"तुम अब भी नही पहचानी अपने अमर को यानी की सामने बैठे इस सूरज को " सूरज ने कहा
"अ,, अ,,, अ,,, अमर,, त,,, त,,, तुम,,, नही ये नही हो सकता, ये कैसे हो सकता है,,, वो अमर तो बहुत पतला दुबला सा था,, और थोड़ा साँवले रंग का भी,, तुम अमर नही हो सकते " संध्या ने कहा
"सही कहा तुमने, वो अमर तो दुबला पतला था, जिसके लिए तुम अपने घर से चोरी छिपकर अपने फ्रॉक में छिपा कर रोटी लाती थी, और उसे खिलाती थी ताकि उसका भी कुछ वजन बढ़ जाए, तुम अब कहा पहचानोगी क्यूंकि नाम के साथ साथ सब कुछ जो बदल गया था मुझ अनाथ का बरसो पहले " सूरज कुछ और कहता उससे पहले ही संध्या बोल पड़ी
"अमर,, तुम सच में हो,, नही नही मेरा मतलब की इतने साल बाद,, तुम यहां मेरे सामने बैठे हो,, मुझे यकीन नही हो रहा है "
"हाँ, संध्या मैं ही हूँ तुम्हारा अमर " सूरज ने कहा
तुम्हारा शब्द सुन कर संध्या ने उसकी तरफ देखा और नजरें नीची कर ली
क्या हुआ संध्या? तुम्हे क्या मेरे द्वारा किया वायदा झूठा लगा था, उस दिन जब वो बढ़े घर वाले मुझे गौद लेकर जा रहे थे, तब मैंने तुम्हारे आंसू साफ करते हुए तुमसे वायदा किया था कि मैं एक दिन जरूर आऊंगा, अब तो वक़्त ने हमें जुदा कर दिया है, लेकिन तब कोई भी हमें जुदा नही कर पायेगा, इसलिए देखो ईश्वर ने भी मेरा साथ दिया
देश बदला, जगह बदली, रेहन सहन खाना पीना सब बदल गया, बस नही बदला तो तुमसे किया वायदा, जो हर दम मुझे याद रहा, उस समय ना तो कोई मोबाइल था और ना ही इतनी समझ की तुम्हे कोई खत लिख पाता, बस एक आस थी मन में की तुम्हे अपना बनाना है, और देखो इस आधुनिक युग में फेसबुक के जरिये मैंने तुम्हे ढूंढ ही लिया और अब समय है अपना वायदा पूरा करने का,
तो क्या तुम मुझसे शादी करोगी, संध्या, बचपन में किए वायदे को पूरा करोगी, देखो मैं तो सात समंदर पार से आ गया अपना वायदा निभाने, अब तुम्हारी बारी, या अब भी सब कुछ जानने के बाद मेरा इम्तिहान लोगी " सूरज ने कहा
"स,, स,,, सूरज,, नही नही,, अमर," संध्या ने कहा
"सूरज कहो, अमर तो बहुत पीछे रह गया, अब मैं इसी नाम से जाना जाता हूँ, लेकिन तुम चाहो तो मुझे उसी नाम से पुकार सकती हो, लेकिन सूरज संग संध्या ही जचता है, इसलिए तुम सूरज कहो " सूरज ने कहा
संध्या उसे गले लगाना चाहती थी, उसे तो बिलकुल यकीन नही हो रहा था, बचपन में किए उस वायदे के खातिर अमर यानी की सूरज उसे निभाने उसके सामने बैठा था, वो तो भूल गयी थी समय के चक्र के साथ साथ लेकिन वो नही भूला था,
"क्या हुआ संध्या? क्या सोच रही हो?" सूरज ने पूछा
"कुछ नही बस यकीन करने कि कोशिश कर रही हूँ, अच्छा ये बताओ, तुम्हे मेरे बारे में कैसे पता तुम तो अमेरिका चले गए थे, अपने माता पिता के साथ और उसके बाद हमने भी वो जगह छोड़ दी थी और यहाँ आ गए थे, इस नये शहर में " संध्या ने पूछा
"संध्या, जब किसी चीज को सच्चे मन और लग्न से ढूँढा जाए तो वो जरूर मिलकर रहती है, अपनी कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म करके जब मैं जॉब कर रहा था, तब ही अचानक मेरे पिता का देहांत हो गया जिसके बाद मैं और मेरी माँ हम कुछ दिन अमेरिका से यहां भारत आ गए, क्यूंकि बिना पिता के वहाँ रहना मुश्किल हो गया था,
बहुत सारा कर्जा था हम लोगो पर, और भी न जाने क्या कुछ यहां आकर मैंने जॉब ढूंढी, और तुम्हारी तलाश भी जारी रखी और फिर वही तुम्हारे पुराने मोहल्ले जा पंहुचा जहाँ पता चला की तुम यहाँ आ गयी हो
यहां आकर तुम्हारा घर तो ढूंढ लिया था, और आते जाते तुम्हे भी देख लिया था, लेकिन इस तरह अचानक तुम्हारे सामने जाना अच्छा नही लगा मुझे, इसलिए मैंने तुम्हे पहले फेसबुक पर ढूंढा जब तुम मिल गयी तो तुम्हे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी, मुझे लगा की मेरी बाते तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार जगा देंगी, लेकिन तुम तो बहुत ही रुड बात करती थी मुझसे, कई बार तो लगा उम्मीद छोड़ दू, लेकिन फिर दोबारा कोशिश की और देखो आज तुम सामने बैठी हो, " सूरज ने कहा
नही ऐसी बात नही है, दरअसल आज कल का माहौल इतना अच्छा नही है, और जब से ये फेसबुक और उस पर बनने वाले दोस्त और उनसे बाते करने का ट्रेंड चला है, तब से बहुत सारे ऐसे केसेस सामने आये है, जिनमे लड़कियों को सिवाय धोखे के कुछ नही मिला, इसलिए मैं बस फेसबुक नॉलेज पर्पस से इस्तेमाल करती हूँ, मेरे बहुत कम दोस्त है वो भी जानने वाले, बस तुम ही थे एक जो अनजान थे, लेकिन अब देखो तुम तो मेरे बहुत ही करीबी निकले
कितना करीबी, जरा बताओगी, संध्या की बात पूरी होने से पहले सूरज ने कहा
संध्या थोड़ा हिचकिचाई और बोली " सूरज मैं जानती हूँ तुम क्या सुनने चाहते हो? लेकिन सूरज मैं अभी कुछ नही कह सकती, क्यूंकि अभी मैं इस हाल में नही हूँ, क्यूंकि तुमने ही अभी मेरा परिचय मुझसे कराया है, तो तुम्हे कुछ भी बताने की ज़रूरत नही है "
सूरज ने उसका हाथ पकड़ा, संध्या को थोड़ा अजीब लगा, सूरज ने उसे सोरी बोला, और उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ते हुए बोला " संध्या, मुझे कोई जल्दी नही है, जहाँ मैंने इतना इंतज़ार किया है, वहाँ थोड़ा और सही अपने वादे को निभाने के लिए, लेकिन हाँ अब तुम अकेली नही हो ये बात याद रखना, तुम्हारा ये सूरज हर दम तुम्हारे साथ खड़ा है, भले ही प्रकर्ति में सूरज के बाद संध्या आती है, लेकिन हमारी जिंदगी में सूरज और संध्या एक साथ मिलकर जिंदगी का सफर तय करेंगे और हाँ अब प्लीज मुझे मेरे मैसेज का इतना इंतज़ार मत कराना, कसम से आँखे तरस जाती है तुम्हारा रिप्लाई देखने के लिए "
ये सुन संध्या की हसीं निकल गयी, और बोली " अच्छा बाबा, अब समय पर रिप्लाई दूँगी, इस फेसबुक वाले फ्रेंड को, या फिर बचपन वाले दोस्त को क्या कहू "
"बचपन वाले प्यार को " सूरज ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा
ये सुन संध्या शर्मा गयी, सूरज भी मुस्कुरा रहा था उसे हस्ता देख
समाप्त,,,,,,,
प्रतियोगिता हेतु
Alka jain
14-Feb-2023 12:24 PM
बेहतरीन
Reply
Saroj Verma
14-Feb-2023 09:19 AM
बढ़िया कहानी 💐💐💐💐
Reply
अदिति झा
14-Feb-2023 12:33 AM
Nice 👌
Reply