लेखनी प्रतियोगिता -14-Feb-2023 सच्चा आशिक
रंजीत की सबसे अच्छी दोस्त उसके पड़ोस में रहने वाली ममता थी। यह दोनों बचपन के दोस्त थे। रंजीत को पता भी नहीं चल था कि उसे कब ममता से इश्क हो गया है। रंजीत तो ममता से सच्चा इश्क करता था लेकिन रंजीत को यह नहीं पता था कि ममता उससे प्यार करती है या नहीं। रंजीत बहुत शर्मीला युवक था। उसने कई बार ममता से उसके दिल की बात पूछना चाहिए लेकिन वह सफल नहीं हो पाता था।
रंजीत और ममता पड़ोसी थे और एक ही स्कूल में एक ही क्लास में पढ़ते थे। आखिरी एग्जाम खत्म होने के बाद ममता अपनी कक्षा की सहेली पलक के घर घूमने जाती है। उस दिन उसकी दोस्ती पलक के भाई कैलाश से हो जाती है। कैलाश देहरादून के कॉलेज में पढ़ता था और वही देहरादून हॉस्टल में रहता था, वह कॉलेज की छुट्टियों में अपने घर आया हुआ था।
कैलाश और ममता की नज़दीकियां रंजीत को बिल्कुल भी पसंद नहीं आती थी। इसलिए रंजीत ममता पर 24 घंटे नजर रखने लगता है। और एक दिन ममता और कैलाश की आपस में प्यार भरी बातें सुनकर उसका दिल टूट जाता है।
उस रात रंजीत बिना खाए पिए सोने चला जाता है। और उस रात ममता का चेहरा रंजीत की आंखों के सामने बार-बार आता है। रंजीत को बार-बार रोना आ रहा था कि उसके बचपन का प्यार उससे हमेशा के लिए अब जुदा हो जाएगा। इसी उधेड़बुन में ममता की एक बात उसके कानों में गूंजने लगती है कि ममता से जब कैलाश कह रहा था कि "मैं तुमसे इतना प्यार करता हूं कि अगर तुम कहो तो मैं आसमान से तुम्हारे लिए चांद सितारे तोड़ कर ले आऊंगा।"
और फिर ममता ने कहा था कि "चांद तारे नहीं मेरे लिए अगर तुम काला गुलाब भी ले आओगे तो मैं समझूंगी कि तुम मेरे सच्चे आशिक हो।"
रंजीत उसी समय अपने मन में ठान लेता है कि मैं ममता को साबित करके दिखाऊंगा कि मैं ममता का सच्चा आशिक हूं। और रंजीत उसी समय खाली जेब उन्हीं कपड़ों में बिना घर में बताए काला गुलाब ममता के लिए लेने अपने घर से निकल जाता है।
पूरे उत्तराखंड में काला गुलाब ढूंढनें ढूंढते उसे पूरे दो महीने हो जाते हैं। उसे कहीं भी कभी भी कोई मेहनत मजदूरी का काम मिलता था, तो वह अपना पेट भरने के लिए कर लेता था। दो महीने बाद उसे एक बगीचे के माली से पता चलता है कि काला गुलाब चंडीगढ़ के रोज गार्डन में मिल सकता है।
उसकी जेब में ₹1 भी नहीं था फिर भी वह भूखा प्यासा पैदल चंडीगढ़ पहुंच जाता है। और चंडीगढ़ में रोज गार्डन के माली को अपने इश्क की सारी कहानी सुनाता है। रोज गार्डन का माली उसकी प्रेम कहानी सुनकर रोज गार्डन के सीनियर अफसर को सुनाता है। सीनियर अफसर उसकी प्रेम कहानी का सम्मान करते हुए उसे काला गुलाब दे देता है।
रंजीत उसी समय बिना कुछ सोचे समझे कभी दौड़कर कभी पैदल चलकर 20 दिन में उत्तराखंड अपने गांव पहुंचकर सबसे पहले ममता के घर जाता है। और ममता के हाथों में काला गुलाब देने के बाद भूख प्यास कमजोरी से बेहोश हो जाता है।
जब रंजीत को होश आता है तो रंजीत और ममता का परिवार उसे घेर कर खड़ा हुआ था। रंजीत को देख कर सब को बहुत खुशी हो रही थी और बिना बताए घर छोड़ने से उससे सब नाराज भी हो रहे थे। रंजीत और ममता के परिवार वाले रंजीत से घर छोड़कर बिना बताए भागने का कारण पूछते हैं?
रंजीत सबके सामने कहता है कि "मैं ममता का सच्चा आशिक हूं यह साबित करने के लिए मैं ममता के लिए काला गुलाब ढूंढ कर लेने गया था।" यह सुनकर सब रंजीत की बेवकूफी पर हंसने लगते हैं।
रात को ममता अकेले में रंजीत से कहती है कि "मुझे पता है कि तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो और यह भी पता था कि कैलाश से मेरा मिलना जुलना तुम्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं था। कैलाश से मिलकर मैं तुम्हें जलाती थी। ताकि तुम अपने प्यार का इजहार मेरे से अपने मुंह से खुद करो। लेकिन काले गुलाब की बात तो मैंने मजाक में कही थी पर कुछ भी हो तुमने साबित कर दिया कि तुम मेरे सच्चे आशिक हो और आज मेरे अलावा पूरी दुनिया के सामने तुमने कबूल कर लिया कि तुम मुझसे कितना प्यार करते हो।"
अदिति झा
17-Feb-2023 10:48 AM
Nice
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सीताराम साहू 'निर्मल'
16-Feb-2023 07:18 PM
Nice 👍🏼
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Abhinav ji
15-Feb-2023 08:11 AM
Very nice 👌
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