Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय मेरी जिंदगी

मेरी जिन्दगी में आके,मेरी जिन्दगी संभारो।
////////////////////पूर्गिका///////////////
मेरी जिन्दगी में आके,मेरी जिन्दगी संभारों।
कब से पुकारती हूँ ,प्रभु लाज अब बचाओ।

जीवन तेरे भरोसे,,,,,,,,,,कोई नही जहां में,
कब से तड़प रही हूं,,मेरा दर्द दिल मिटाओ।

सबको बुला बुलाकर ,हारी हूं अब कन्हैया,
विश्वास है तुम्हारा ,अब  सुन पुकार आओ।

बिगड़ी की कोन सुनता,तेरे शिवा कन्हैया,
अब द्रोपदी पुकारे,आकर तुम्हीं,निभाओ।

माता पिता तुम्हीं हो, बन्धु सखा तुम्ही हो,
सरिता सहायता दो अब तो नही रुलाओ।

सुनीता गुप्ता'सरिता'कानपुर

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3 Comments

बहुत ही सुंदर विनती,, बेहतरीन

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Milind salve

14-Feb-2023 07:13 PM

बहुत खूब

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Varsha_Upadhyay

14-Feb-2023 07:06 PM

बेहतरीन

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