चोर- चोर मौसेरे भाई
'चोर-चोर मौसेरे भाई'का अर्थ होता है दो एक ही स्वभाव अथवा व्यवसाय वाले लोग एक - दूसरे को अपनाते हैं एवं साथ भी देते हैं। इसी पर आधारित है हमारे समाज का एक ऐसा चेहरा जो दिखाया तो जाता है लेकिन उस चेहरे की रूपरेखा अलग-अलग होती है।
हमारे समाज में शादी एक ऐसा पवित्र बंधन माना जाता है जिसमें दो दिलों के साथ-साथ दो परिवारों का भी मिलन होता है लेकिन यह मिलन ऐसे ही नहीं होता इस मिलन को होने के लिए लड़की वाले को दहेज नामक चढ़ावा भी चढ़ाना पड़ता है और ये चढ़ावा शादी से पहले शुरू हुई रस्मों से लेकर शादी के बाद तक चढ़ता रहता है। प्रिया के माता-पिता ने भी अपना घर तक गिरवी रख कर अपनी बेटी की शादी अपने से ऊंचे घराने में की थी।
हर रस्म में किसी भी चीज की कमी तक नहीं होने दी थी यहां तक कि बाढ़ आती हो का स्वागत भी लड़के वालों की मनपसंद जगह और उनके मनपसंद खानों से की गई थी। लड़के वालों की आंखों में अपने मान सम्मान को बारातियों के सामने बढ़ा हुआ देखकर उनका सीना गर्व से फूला जा रहा था। वें सबके सामने ऐसे पेश आ रहे थे जैसे उन्होंने अपने बेटे की ऐसी जगह पर शादी करवाकर सबसे महान और सबसे गर्व का काम किया है। बातों ही बातों में लड़के वाले अपने सगे संबंधियों के सामने ये भी जता रहे थे कि अपने रूतबे के अनुसार ही अपने बेटे के लिए उन्होंने बहू और उनका परिवार ढूंढा है।
शादी धूमधाम से हो गई और प्रिया दुल्हन बन कर अपने ससुराल में भी आ गई। अच्छी तरह उसका गृह प्रवेश भी हुआ। विदाई के वक्त भी प्रिया अपने साथ दहेज का सामान भर - भरकर लाई थी जिसे बहुत लोग तो देख चुके थे और बहुत यह सोच रहे थे कि बहू की मुंह दिखाई की रस्म के वक्त वें सभी अपनी ऑंखों से स्वयं भी देख लेंगी या लेंगे।
प्रिया की मुंह दिखाई की रस्म शुरू हो चुकी थी। रिश्तेदारों तथा मोहल्ले के आस - पड़ोस की महिलाओं से कमरा खचाखच भरा हुआ था। वहां उपस्थित सभी महिलाओं ने प्रिया की खूबसूरती की बहुत तारीफ की।
सबकी जुबान ये ही कह रही थी कि बहू पढ़ी-लिखी है, सुंदर है लेकिन साथ ही वहीं महिलाएं जब चाय नाश्ते के लिए बैठी तो उन लोगों की जुबान पर और निगाहें उसी तरफ थी जहां पर दहेज का सामान रखा हुआ था।
प्रिया की सास और ननद उन महिलाओं की जुबान और आंखों की चमक देखकर समझ गई थी कि यह दहेज के सामान को देख रही है और उनके बारे में ही बातें कर रही हैं। वें दोनों उन महिलाओं के पास आए और उन्होंने उन सभी को पूरे घर के उन हिस्सों को दिखाया जहां पर दहेज में दिए गए सामान रखे हुए थे।
वहीं पर सभी महिलाएं सामान देखकर उसकी तारीफ करने लगी थी, उसी में से एक महिला ऐसी भी थी अभी कुछ दिन पहले मोहल्ले में आई एक और दुल्हन के बारे में बातें करने लगे जो अपने साथ ज्यादा दहेज नही लाई थी।
मुंह दिखाई में आई रश्मि थी तो एक गृहणी ही लेकिन उसकी सोच दहेज के मामले में चोर - चोर मौसेरे भाई जैसों से बिल्कुल भी नहीं मिलती थी। कुछ ही दूरी पर कमरे से आती बातों को सुनकर उससे रहा नहीं गया और वह अपने स्थान से उठकर वहां पर पहुंच गई और उसने उन महिलाओं से मुखातिब होकर कहा "अभी आप जिस दुल्हन की बात कर रहे हैं उसे मैंने भी देखा है और जहां तक मैं जानती हूॅं सुंदर होने के साथ-साथ वह सुशील भी है, शिक्षित भी है और यहां तक की नौकरी पेशा भी है। क्या हो गया यदि वह अपने साथ बहुत बड़ा दहेज लेकर नहीं आई? क्या उसके यही गुण हम सबके लिए दहेज समान नहीं है और मैं तो कहती हूॅं कि... ।"
रश्मि अपनी बातें पूरी कर पाती इससे पहले ही प्रिया की ननद ने उसे चुप कराने के लिए बीच में ही यह बोल दिया कि जब अपने बेटे की शादी करोगी तब हम लोग देखेंगे कि तुम्हें दहेज चाहिए या सुंदर सुशील लड़की?
रश्मि ने देखा कि सभी महिलाएं प्रिया की ननद की कही गई बातें के समर्थन में खी.. खी... करती हुई उसके साथ आगे बढ़ गई और रश्मि वहीं पर खड़ी यें सोच रही थी कि मालूम नहीं इन महिलाओं की सोच कब बदलेगी जिन्हें बहू के गुण नहीं बल्कि दहेज में मिला सामान ही अधिक प्रिय है?
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धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💗💞💗
# मुहावरों की दुनिया
Mahendra Bhatt
19-Feb-2023 09:07 PM
बहुत खूब
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डॉ. रामबली मिश्र
18-Feb-2023 09:28 PM
शानदार
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अदिति झा
17-Feb-2023 10:41 AM
Nice
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