लेखनी प्रतियोगिता -15-Feb-2023
तेरे मेरे बीच में
ये जाने कैसा रिश्ता है।
ये मोटा है महीन भी है
मीठा भी है नमकीन भी है
बच्चों जैसा उच्छृंखल है
बूढ़ों जैसा शालीन भी है
ये देने में हरिश्चंद्र भी है
और शबरी जैसा दीन भी है
तुझको पाकर मैं पूर्ण हुआ
तू मानव है या फरिश्ता है।
तेरे मेरे बीच मे
ये जाने कैसा रिश्ता है।
मैं जब भी तुझको देखता हूँ
एक नया उजाला पाता हूँ
कहना होता है कुछ और मगर
जाने क्या क्या कह जाता हूँ
यादोँ में तुम्हारी रोता हूँ
और देख तुम्हें मुस्काता हूँ
दुनिया और तेरी यादों की
चक्की में ये मन पिसताहै
तेरे मेरे बीच में ये
जाने कैसा रिश्ता है।।
।
।
डॉ. रामबली मिश्र
16-Feb-2023 11:11 AM
बहुत खूब
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
16-Feb-2023 09:06 AM
बेहतरीन बेहतरीन
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Swati chourasia
16-Feb-2023 08:28 AM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
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